Jharkhand

स्वास्थ्य विभाग के अनुसेवी अमजद ने वेतन सूची में जोड़ दिए फर्जी डॉक्टरों का नाम, किया करोड़ों का घोटाला

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते डीसी चंदन कुमार

रामगढ़, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । जिले में एक से एक घोटालेबाज सामने आ रहे हैं। इससे पहले नगर परिषद और अनुमंडल कार्यालय में कर्मचारियों के द्वारा किया गया लाखों रुपए का घोटाला पकड़ा गया। लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग के एक अनुसेवी अमजद हुसैन ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। उसने वेतन सूची में ही फर्जी डॉक्टरों के नाम शामिल कर दिए थे। उनके नाम पर पिछले डेढ़ वर्षो में लगातार हर महीने वेतन के नाम पर मोटी रकम ट्रांसफर की जा रही थी। प्रथम दृष्ट्या लगभग 1 करोड रुपए से अधिक का घोटाला पकड़ा गया है। इस घोटाले में अमजद हुसैन की पत्नी भी उसकी बराबर की सहयोगी है। क्योंकि कुछ बैंकों में उसी के नाम पर खाते खोले गए थे। इस पूरे मामले की जानकारी मंगलवार की शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीसी चंदन कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि जैसे ही स्वास्थ्य विभाग में बड़े घोटाले की खबर मिली, उन्होंने जांच कमेटी बिठा दी। साथ ही अनुसेवी अमजद हुसैन और उसकी पत्नी के खिलाफ रामगढ़ थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। उन्होंने बताया कि जब बैंक खातों को ट्रेस किया गया तो पता चला कि कोई भी अकाउंट किसी चिकित्सक के नाम पर नहीं है। पांच अलग-अलग बैंक अकाउंट अमजद हुसैन और उसकी पत्नी ऑपरेट कर रही थी।

डॉ राहुल उमरे के पैन कार्ड से काटा गया टीडीएस तो खुला पूरा मामला

डीसी चंदन कुमार ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज लातूर में पदस्थापित फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राहुल उमरे ने 23 अगस्त को दूरभाष सं० 9970315598 से उनके पैन में 26 AS में टीडीएस क्रेडिट होने की सूचना दी। उनके द्वारा बताया गया कि यह केडिट राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, रामगढ़ से प्राप्त हुई है। डॉ राहुल उमरे रामगढ़ जिले के सदर अस्पताल या अन्य किसी भी सरकारी अस्पताल में पदस्थापित नहीं रहे। जब जांच की गई तो पता चला कि डॉक्टर राहुल जैसे चार और लोग भी हैं।

फर्जी चिकित्सकों का बनता था अटेंडेंस और वे होते थे अब्सेंट,

जिला स्वास्थ्य समिति के जिला लेखा प्रबंधक के द्वारा जब जांच की गई तो पता चला कि डॉ संगीता वडाईक, डॉ वीणा कुमारी एवं डॉ टी0 चक्रवर्ती जिनका पूर्व से हीं भुगतान किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त सरिता कुमारी को भी संदिग्ध भुगतान वर्षों से किया जाता रहा है। जांच में यह बात भी स्पष्ट हुई है कि सभी चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी का अटेंडेंस भी बनता था। कई बार वे लोग अनुपस्थित भी होते थे। एक महिला स्वास्थ्य कर्मी तो प्रसव छुट्टी पर भी है। उक्त चार चिकित्सकों में 01 मात्र चिकित्सक वीणा कुमारी का नाम अनुपस्थित पंजी में दर्ज पाये जाने के अधार पर भुगतान किया गया। शेष 03 चिकित्सक डॉ राहुल उमरें, डॉ संगीता बड़ाईक एवं डॉ टी० चकवर्ती के बारे में प्राप्त सूचनानुसार बताया गया कि 02 चिकित्सक विदेश पढ़ाई करने, 01 चिकित्सक सेवा से त्याग पत्र दे दिया है एवं सरीता कुमारी प्रसव छुट्टी में है।

वेतन की सारी संचिका हुई बंद, एक ही संचिका से होगा भुगतान

इस घोटाले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की सारी संचिका को बंद कर दिया गया है। जिला लेखा प्रबंधक ने बताया कि वेतन की कई संचिका संधारित होने की वजह से उसके मिलन में कठिनाई होती हैं। जिन्हें बंद कर माह जून 2024 से दो संचिकाएं हीं संधारित की जाए। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि बंद सचिका में छेडछाड कर कुछ आवश्यक पन्ने गायब कर दिए गए हैं।

एसडीओ के नेतृत्व में कमेटी 10 वर्षों के वेतन भुगतान का करेगी जांच

डीसी चंदन कुमार ने बताया कि इस पूरे घोटाले की जांच करने की जिम्मेदारी रामगढ़ एसडीओ आशीष गंगवार को सौंपी गई है । वह पिछले 10 वर्षों में ऑफलाइन और ऑनलाइन वेतन भुगतान की सारी संचिका की जांच करेंगे । ऐसी संभावना है कि यह घोटाला सिर्फ डेढ़ वर्षो का नहीं है। पिछले कई वर्षों में बड़े घोटाले किए गए हैं और इस मामले में जितने लोगों की संलिप्तता होगी, उन सभी पर कार्रवाई होगी।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश / शारदा वन्दना

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