
नई दिल्ली, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन विवाद मामले में आईएमए के अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन को फटकार लगाते हुए कहा है कि आप हमें माफीनामे संबंधी अखबारों की प्रति दीजिए, उसके बिना हम आपकी बात नहीं सुनेंगे। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट ने माफीनामा का साइज देखा है और वो काफी छोटा है। हम इसे पढ़ नहीं पा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि माफीनामा एक राष्ट्रीय अखबार में छपा है लेकिन यह बहुत छोटा है। अशोकन उन सभी राष्ट्रीय अखबारों के 20 संस्करणों की प्रति कोर्ट में दाखिल करें, जहां माफीनामा उन्होंने छपवाया है। कोर्ट ने कहा कि अदालत की टिप्पणी पर अशोकन ने मीडिया में बयान दिया था। कोर्ट ने इसी मामले में सुनवाई करते हुए विज्ञापनों के जरिये फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स(एफएमसीजी) कंपनियों द्वारा किए गए भ्रामक स्वास्थ्य दावों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय द्वारा जारी उस अधिसूचना पर रोक लगा दिया, जिसमें औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 को हटा दिया गया था। औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 का नियम 170 आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है। कोर्ट ने कहा कि मंत्रालय द्वारा जारी यह अधिसूचना उसके 7 मई, 2024 के आदेश के अनुरूप नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 29 अगस्त, 2023 के पत्र को वापस लेने की बजाय ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियम के नियम 170 को हटाने के लिए एक जुलाई की अधिसूचना जारी किया है, जो इस अदालत के निर्देशों के विपरीत है।
इसके पहले, 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस बंद कर दिया था। दोनों ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी। अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा भी प्रकाशित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए भविष्य में भी गलती न करने की हिदायत दी थी।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) पाश / आकाश कुमार राय
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