Haryana

जींद: जन्माष्टमी पर इस बार कृष्ण जन्म जैसा योग बनेगा

जन्माष्टमी पर्व को लेकर सजाया गया जयंती देवी मंदिर।

जींद, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । सोमवार को मनाए जाने वाले कृष्णा जन्माष्टमी के पर्व को लेकर तैयारी जोरों पर है। 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व को लेकर मंदिरों को सजाया जा रहा है। शाम को कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अर्द्धरात्रि को मथुरा में माता देवकी के गर्भ से हुआ था।

जन्माष्टमी का यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। महाराजा अग्रसेन मंदिर पुजारी अशोक शर्मा ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहे है। जो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्म में बने थे। उस चंद्रमा वृष राशि के थे और रोहिणी नक्षत्र था। इस बार भी ये दोनों योग बन रहे। अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्रमा रहेगा। जन्माष्टमी के दिन उदयकाल से मध्यरात्रि तक अष्टमी तिथि रहेगी। वहीं श्रीकृष्ण जन्म के समय रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र भी मौजूद रहेगा। अष्टमी तिथि सुबह 3 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और 27 को मध्यरात्रि 2 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। माना जाता है कि जब कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था तब भी ऐसा ही योग बना था, यानि चंद्रमा उस समय भी वृषभ राशि में विराजमान था। इसके अलावा इस दिन जयंती योग, सर्वार्थ सिद्धि योग योग का संयोग रहेगा।

पुजारी ने कहा कि रात 12 बजे भगवान के बाल स्वरूप गोपाल की पूजा करें। इस बार जन्माष्टमी पर वर्षों बाद यह संयोग बना है। जन्माष्टमी पर गीता का पाठ करना और गीता का दान करना बेहद शुभ माना गया है। जन्माष्टमी का व्रत करने से भगवान कृष्ण सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और घर में सुख संपन्नता बढ़ती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन संतान सुख से वंचित दंपति यदि व्रत रखते हैं तो उनकी खाली झोली भगवान भर देते हैं।

(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा / SANJEEV SHARMA

Most Popular

To Top