उज्जैन, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रदेश के संस्कृति, धार्मिक न्यास, धर्मस्व एवं पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने शनिवार शाम उज्जैन में कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप अखिल भारतीय कालिदास समारोह-2024 गरिमामय पूर्ण और अत्यंत भव्य होगा समारोह की स्थानीय समिति के सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की रचना और योजना तैयार की जाएं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 और 2024 के कालिदास सम्मान एक साथ इसी समारोह में दिए जाएंगे। वे कालिदास अकादमी में आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह की स्थानीय समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में 12 से 18 नवंबर तक आयोजित होने वाले कालिदास समारोह के स्वरूप और प्राप्त प्रस्तावों पर चर्चा की गई।
बैठक में विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा , महापौर मुकेश टटवाल ,नगर निगम सभापति कलावती यादव, पद्मश्री भगवती लाल राजपुरोहित, शिव चौरसिया, संभागायुक्त संजय गुप्ता , कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, कुलगुरु विक्रम विश्वविद्यालय अखिलेश कुमार पांडे, कुलगुरु महर्षि पाणिनि संस्थान विजय कुमार मेनन, कालिदास अकादमी के निदेशक गोविंद गंधें , संस्कार भारती के प्रमुख श्रीपाद जोशी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहें।
मंत्री श्री लोधी ने कहा कि महाकवि कालिदास की रचनाएं अद्भुत और अविस्मरणीय है। उसी प्रकार कालिदास समारोह भी और अधिक भव्य रूप में आयोजित किया जाए। हमें कालिदास समारोह को और अधिक विस्तृत कर नहीं ऊंचाइयों पर पहुंचाना हैं। स्थानीय समिति की बैठक भी वर्ष में दो बार आयोजित की जाए। पहली बैठक में समारोह के आयोजन के संबंध में सुझाव आमंत्रित किए जाए और दूसरी बैठक मे महत्वपूर्ण सुझावों का क्रियान्वयन करें। वर्ष 2024 के कालिदास सम्मान समारोह के लिए प्राप्त सुझाव को कंपाइल कर उन पर काम किया जाए।
संस्कृति मंत्री श्री लोधी ने कहा कि कालिदास सम्मान समारोह की गरिमा और गौरव को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास किए जाएं। समारोह से जुड़ी निजी संस्थाओं को अनुदान दिए जाने पर भी विचार किया जाए। समारोह में बड़े कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों को भी आमंत्रित करें। संस्कृत भाषा के साथ अन्य लोक बोलियां में भी कवि सम्मेलन आयोजित किए जाए। मेला और कालिदास समारोह के आयोजन एक साथ न हो इस पर विचार करें।
बैठक में स्थानीय समिति के सदस्य द्वारा प्रमुख रूप से समझ में मालवा के स्थानीय कलाकारों को अवसर दिए जाने, समारोह में भारत की साहित्यिक सांस्कृतिक समृद्धता को बनाए रखने, अश्विनी शोध संस्थान की प्रदर्शनी का बेहतर प्रदर्शन और अतिथियों को प्रदर्शनी से अवगत कराने, कालिदास की रचनाओं पर केंद्रित नृत्य का आयोजन, ईमेल के माध्यम से समारोह के लिए लोकप्रिय कलाकारों को आमंत्रित करने, संस्कृत भाषा के कवियों का सम्मेलन, कालिदास जी की रचनाओं पर व्याख्यान माला, संस्कृत भाषा के साथ प्राकृत और अपभ्रंश पर भी ध्यान दिए जाने इत्यादि सुझाव दिए गए।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल / राजू विश्वकर्मा