जयपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रदेश के कुछ विद्यालयाें में कराए गए मिडलाइन सर्वेक्षण से पता चला कि 92 फीसदी छात्रों ने फल और सब्जियों की खपत बढ़ा दी है। नरिशिंग स्कूल्स फाउंडेशन की ओर से कराए गए इस सर्वेक्षण का लक्ष्य न केवल पोषण संबंधी प्रथाओं में सुधार करना है बल्कि छात्रों को उनके स्वास्थ्य और शैक्षणिक यात्रा की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाना भी है।
राजस्थान सरकार और यूआरएमयूएल ट्रस्ट, वाग्धारा और शिक्षित रोजगार केंद्र प्रबंधक समिति जैसे प्रतिष्ठित स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करते हुए नरिशिंग स्कूल्स फाउंडेशन टूलकिट के कार्यान्वयन का उद्देश्य वास्तविक दुनिया की पोषण और स्वच्छता चुनौतियों का समाधान करना है। नरिशिंग स्कूल्स फाउंडेशन की सीईओ और सह-संस्थापक अर्चना सिन्हा ने बताया कि हमने देखा कि राजस्थान के जिलों में व्यवहार परिवर्तन के हस्तक्षेप की उच्च संभावना है। दाे साै सरकारी स्कूलों में 9-14 वर्ष की आयु के 52 हजार से अधिक छात्रों पर नॉरिशिंग स्कूल फाउंडेशन टूलकिट का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सीकर, झुंझुनू, जयपुर, बीकानेर और बांसवाड़ा जैसे जिलों में फैले इन स्कूलों ने पोषण, शिक्षा, शैक्षणिक प्रदर्शन और स्वच्छता के बारे में जागरुकता में पर्याप्त सुधार की सूचना दी है। चार जिलों बांसवाड़ा, बीकानेर, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर के 45 स्कूलों के हमारे मिडलाइन सर्वेक्षण में, शौचालय का उपयोग करने के बाद साबुन से हाथ धोने वाले छात्रों का प्रतिशत हमारे उपयोग के केवल एक चक्र के भीतर 8 फीसदी से बढ़कर 37 फीसदी हो गया।
बीकानेर के जिला शिक्षा अधिकारी सुनील बोड़ा ने बताया कि बीकानेर एक ग्रामीण जिला है। जिले के स्कूलों में नरिशिंग स्कूल्स फाउंडेशन टूलकिट के कार्यान्वयन ने हमारे छात्रों के स्वास्थ्य और कल्याण में जबरदस्त प्रगति की है। हमने उनके आहार पैटर्न के साथ-साथ स्वस्थ भोजन के प्रति उनके रवैये में भी काफी अंतर देखा है। शिक्षा के साथ पोषण के संयोजन में पौष्टिक स्कूल टूलकिट ने पोषण शिक्षा को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने का मार्ग प्रशस्त किया है। नरिशिंग स्कूल फाउंडेशन की योजना आने वाले वर्ष या महीनों में पूरे राजस्थान में अपनी पहुंच का विस्तार करने और बीकानेर के 20 स्कूलों और बांसवाड़ा के 12 स्कूलों में उन्नत नरिशिंग स्कूल टूलकिट का प्रसार करने की है।
(Udaipur Kiran) / रोहित / संदीप