HEADLINES

विनोद कुमार शुक्ल को साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान

रायपुर में शुक्रवार को प्रख्यात कवि विनोद कुमार शुक्ल को उनके आवास पर साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता से अलंकृत करते अध्यक्ष माधव कौशिक और सचिव के. श्रीनिवासराव।

नई दिल्ली, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । साहित्य अकादमी ने अपने सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता से हिंदी के प्रख्यात कवि एवं कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को शुक्रवार को अलंकृत किया। स्वास्थ्य कारणों के चलते यह संक्षिप्त अलंकरण कार्यक्रम उनके रायपुर स्थित आवास पर किया गया। यह अलंकरण साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और सचिव के. .श्रीनिवासराव द्वारा प्रदान किया गया। यह सम्मान सितंबर 2021 में घोषित किया गया था।

अलंकरण प्राप्त करने के बाद विनोद कुमार शुक्ल ने कहा कि इस सम्मान को मेरे घर आ कर देने के लिए वे साहित्य अकादमी का आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि इतना बड़ा सम्मान उन्हें प्राप्त होगा। अभी तक यह सदस्यता जिन महत्वपूर्ण लेखकों को मिली है, उनके बीच अपने को पाकर मैं बहुत ख़ुश हूं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी दो कविताओं का पाठ भी किया।

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि यह स्वयं को गौरवान्वित महसूस होने का दुर्लभ अवसर है, क्योंकि शुक्ल जी को सम्मानित करके अकादमी भी अपने आप को सम्मानित कर रही है। शुक्ल जी का लेखन इतना व्यापक और उत्कृष्ट है कि आने वाली पीढ़ियां इससे हमेशा प्रोत्साहित होती रहेंगी।

सचिव के. श्रीनिवासराव ने उनके सम्मान में प्रशस्ति पाठ करते हुए कहा कि विनोद कुमार शुक्ल कविता और गल्प का अद्भुत संयोग रचने वाले सर्जक हैं। उनकी रचनाएं किसी स्मृति के आख्यान सी मृदुल और झिलमिल करती हुई होती हैं, जिन्हें पढ़कर एक विलक्षण शांति को महसूस करने का सुख प्राप्त होता है। इस नाते विनोद कुमार शुक्ल हमारे समय के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार किए जाते हैं।

एक जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल ने कृषि की पढ़ाई के दौरान प्रकृति के प्रति ऐसी आत्मीयता पाई है, जो आगे बढ़कर प्रकृति रक्षा और अंततः मनुष्य की प्रजाति की रक्षा में चिंतित हो जाती है। कविता-संग्रह लगभग जयहिंद से अपनी रचनात्मक यात्रा शुरू करने वाले शुक्ल ने वह आदमी चला गया, नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह, सब कुछ होना बचा रहेगा, अतिरिक्त नहीं, कविता से लंबी कविता, आकाश धरती को खटखटाता है, कभी के बाद अभी आदि प्रकाशित कविता-संग्रह और नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी आदि उपन्यासों तथा हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़, एक कहानी, घोड़ा और अन्य कहानियां जैसे कहानी-संग्रह द्वारा पद्य और गद्य का एक सर्वथा नया सौंदर्य-बोध निर्मित किया है, जिसके अंतःपुर में प्रवेश करने और रम जाने पर एक सात्विक-सा आस्वाद प्राप्त होता है।

शुक्ल को गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, अखिल भारतीय भवानीप्रसाद मिश्र सम्मान, सृजन भारतीय सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, रचना समग्र पुरस्कार एवं हिंदी गौरव सम्मान आदि कई प्रतिष्ठित सम्मानों से अलकृंत किया जा चुका है।

—————

(Udaipur Kiran) / पवन कुमार / दधिबल यादव

Most Popular

To Top