Haryana

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षों के संरक्षण के साथ-साथ गुरु जम्भेश्वर के नियमों का पालन करना जरूरी : डॉ. बृजेन्द्र कुमार सिंघल

मुख्य वक्ता डा. ब्रजेन्द्र सिंह सिंघल को सम्मानित करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।
हिसार में अतिथिगण के साथ प्रतिभागी एवं आयोजक।

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न, देश-विदेश के प्रतिभागियों ने प्रस्तुत किए 125 पेपर

हिसार, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । विख्यात लेखक एवं भक्ति साहित्य विशेषज्ञ, नई दिल्ली के डा. ब्रजेन्द्र सिंह सिंघल ने कहा है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षों के संरक्षण के साथ-साथ गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सभी नियमों का पालन करना भी जरूरी है। गुरु जम्भेश्वर महाराज ने जैविक विविधता पर बल दिया तथा हर जीव की सुरक्षा व संरक्षण का संदेश दिया।

डा. ब्रजेन्द्र सिंह सिंघल शुक्रवार को यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के गुरु जम्भेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के सौजन्य से आयोजित ‘गुरु जम्भेश्वर जी के नैतिक, आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय चिंतन की वर्तमान युग में प्रासंगिकता’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर संबोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नील के प्रयोग न करने से गुरु जी का अभिप्राय था कि नील जहां पैदा होती है वहां भूमि अन्न उपजाऊ नहीं रहती। उन्होंने श्री राम जी के प्रसंगों का उदाहरण देते हुए भी पर्यावरण संरक्षण के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के 29 नियमों तथा उनके महत्व के बारे में विस्तार से बताया। डा. सिंघल ने कहा कि हम अपने आचरण को सुधार कर ही साधना कर सकते हैं तथा परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। आचरण और दर्शन दोनों में समन्वय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी के आदर्शों पर चलकर ही हम पृथ्वी को आने वाली पीढि़यों के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।

अखिल भारतीय सेवा दल, मुकाम के अध्यक्ष विनोद धारणिया ने गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के जीवन, कार्यों तथा शिक्षाओं के बारे में बताया। उन्होंने गुरु जी की कर्मस्थली मुकाम के बारे में भी विस्तृत रूप से जानकारी दी तथा उन्होंने आयोजकों व प्रतिभागियों को मुकाम आने का निमंत्रण भी दिया। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि यह सम्मेलन ने केवल समाज के नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान में योगदान देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोगी रहेगा। भारत धर्म, आध्यात्म और सनातन संस्कृति की जननी व देवभूमि है। भारत के संतों ने जन सामान्य में नई चेतना का संचार किया है। उन्होंने कहा कि आज समाज आडंबरों में उलझा हुआ है।

अधिष्ठाता प्रो. एनके बिश्नोई ने धन्यवाद सम्बोधन किया। विभागाध्यक्ष प्रो. किशना राम बिश्नोई ने स्वागत सम्बोधन किया। आयोजन सचिव डा. जयदेव बिश्नोई ने सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। सम्मेलन में देश-विदेश के प्रतिभागियों द्वारा 125 पेपर प्रस्तुत किए गए। सम्मेलन में उद्घाटन व समापन सत्र सहित 11 सत्रों का आयोजन किया गया। इस असवर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए खाम्भू राम को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुत करने वाले शोधार्थियों ओएसजीयू के विकास ढांडा, राजकीय पॉलिटेक्निक हिसार के दिनेश कुमार, गुजविप्रौवि के हिंदी विभाग की नविता, एफजीएम राजकीय महाविद्यालय आदमपुर के कृपाराम, विद्या भारती दिल्ली के आरके बिश्नोई व स्वतंत्र प्रतिभागी रामसरूप को सम्मानित किया गया।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर शर्मा

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