रायपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) ।छत्तीसगढ़ में पूर्व की कांग्रेस सरकार में तत्कालीन डीजी आईपीएस (रिटायर्ड) मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनेश सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में सीजेएम कोर्ट में एक क्लोज़र रिपोर्ट पेश किया है।रायपुर की सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत क्लोज़र रिपोर्ट में कहा गया है कि जो आरोप लगाए गए वह अपराध हुआ ही नहीं है।
मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के खिलाफ भूपेश सरकार ने अवैध इंटरसेप्शन करने का मामला दर्ज किया था, इन प्रकरणों में दोनों ही अधिकारियों ( मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह) के खिलाफ गंभीर धाराएं लगाई गई थीं। एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए कोर्ट से यह कहा है कि, बगैर अनुमति इंटरसेप्शन का आरोप ही फ़र्ज़ी है। कोर्ट से एसीबी/ इओडब्लू ने कहा है कि, जो भी इंटरसेप्शन हुआ वह नियमतः और विधिक अधिकारिता से किया गया।
क्लोज़र रिपोर्ट में एसीबी ने कोर्ट को बताया है कि, एसीबी ने जिन धाराओं में अपराध दर्ज किया उन धाराओं में अपराध दर्ज करने का अधिकार ही नहीं था। कोर्ट से यह भी कहा गया है कि, नान मामले में और आलोक अग्रवाल मामले में प्रकरण का चालान पेश हो चुका था। प्रकरण का न्यायालय में विचारण जारी था लेकिन फिर भी एसआईटी का गठन कर दिया गया। एसआईटी को अग्रिम विवेचना की अनुमति कोर्ट से नहीं मिली लेकिन इसके बावजूद एसीबी ने एफ़आईआर दर्ज की और विवेचना की जो न्यायालय के आदेश की अवहेलना थी।
एसीबी/ईओडब्लू का पत्र क्रमांक 07/2019/पी-7447/2024 जो कि क्लोजर रिपोर्ट के साथ अदालत में जमा किया गया है। उसमें दोनों ही एफ़आईआर में अदालत के सामने एफ़आईआर ख़ारिज करने की बात कही गई है। एसीबी ने जून माह में खारिजी को कोर्ट में पेश करने पत्र जारी किया और 5 जुलाई 2024 को क्लोज़र कोर्ट में पेश कर दिया गया। गुरुवार 22 अगस्त को सीजेएम कोर्ट में इस प्रकरण के तत्कालीन विवेचना अधिकारी अलबर्ट कुजूर का बयान भी दर्ज हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर अवैध इंटरसेप्शन का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था। इन मामलों में दोनों अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। एसीबी और ईओडब्लू ने जांच के बाद यह सिफारिश की है कि आरोपित मामलों में अपराध नहीं हुआ और इसलिए केस खारिज किया गया है।राज्य सरकार की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि एसीबी और ईओडब्लू के तत्कालीन निदेशक जीपी सिंह ने गवाहों पर दबाव डाला और धमकी दी। आरोप है कि उन्होंने गवाहों से बयान अपने मन मुताबिक कराए, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।क्लोज़र रिपोर्ट के साथ पेश किए गए पत्र में एसीबी ने अदालत से दोनों एफआईआर को खारिज करने की सिफारिश की है। इन एफआईआर के तहत मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा / गायत्री प्रसाद धीवर