चंद्रशेखर कानपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । धान की फसल में तना छेदक कीट से सुरक्षा के लिए नीम ऑयल का छिड़काव करने से किसानों को अधिक लाभ होगा और इसके प्रयोग से धान के उत्पादन में कोई क्षति नहीं होगी। यह जानकारी शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के थरियांव स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. जगदीश किशोर ने दी।
उन्होंने बताया कि धान की फसल में तना छेदक कीट जमीन से ढाई से तीन इंच की ऊंचाई पर पौधों के तनों में छेद कर देता है। जिससे पौधा भूरे रंग का तथा चाबुक नुमा पौधे की पत्तियां दिखाई देते हैं। साथ ही धान का उत्पादन प्रभावित होता है। उन्होंने सलाह दी है कि किसान भाई नीम ऑयल 100 मिलीलीटर एक एकड़ में छिड़काव कर दें। तथा तना छेदक कीट के पूर्वानुमान हेतु एक एकड़ क्षेत्रफल में 6 से 8 फेरोमेन ट्रैप भी लगा दें।
डॉक्टर जगदीश किशोर ने बताया कि धान की फसल में रस चूसने वाले कीट भी लगते हैं इसके प्रबंधन के लिए खेत की सूखी मिट्टी या रख का छिड़काव कर देना चाहिए।डॉक्टर जगदीश किशोर ने पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण के दौरान कृषकों को खेतों पर प्रयोग करके भी दिखाए।
इस अवसर पर केंद्र की प्रभारी डॉक्टर साधना वैश्य एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने भी किसानों को संबोधित किया तथा कहा कि प्राकृतिक खेती करने से फसल उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी रहती है। जो मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक एवं पर्यावरण हितैषी है। इस अवसर पर क्षेत्र के कई किसानों ने प्रतिभाग किया।
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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल / बृजनंदन यादव