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महिला की खराब की जगह सही किडनी निकालने से मौत

किडनी निकली महिला की मौत

झुंझुनू, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । झुंझुनू के धनखड़ हॉस्पिटल में डॉ. संजय धनकड़ ने एक महिला का ऑपरेशन कर खराब की जगह सही किडनी निकाल ली, महिला रविवार शाम को मौत हो गई। महिला का 76 दिन तक जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज चला। झुंझुनू के नुआं गांव की रहने वाली ईद बानो (54) की धनखड़ हॉस्पिटल में 15 मई को डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान संक्रमित की जगह सही किडनी निकाल दी थी। इसके बाद से मरीज की हालत गंभीर बनी हुई थी।

मरीज ईद बानो को पेट में तेज दर्द की शिकायत रहती थी। परिजन धनखड़ हॉस्पिटल अस्पताल लाए थे। डॉ. संजय धनकड़ ने कहा था कि स्टोन का बार-बार दर्द होगा इसलिए किडनी निकाल देते हैं। यदि यह नहीं निकाली तो किडनी खराब हो जाएगी और जिंदगी भर दर्द होता रहेगा। डॉक्टर ने 15 मई को सर्जरी कर दी थी। 17 मई को ईद बानो के यूरिन में मवाद आने लगा और दर्द बढ़ गया। परिजनों ने डॉक्टर से पूछा तो उसने जयपुर जाने को कहा था। कहा था कि एसएमएस अस्पताल में सर्जरी के लिए कुछ मत बताना। परिजन 21 मई को पेशेंट को जयपुर लाए और भर्ती कराया था। यहां जांच में पता चला था कि बाईं ओर की किडनी निकाली है, जबकि संक्रमण दाई किडनी में था।

इसके बाद जयपुर में भर्ती मरीज ईद बानो के बयान के आधार पर 30 मई को मामला दर्ज किया गया था। 5 जून को किडनी निकालने वाले डॉक्टर डॉ. संजय धनखड़ को पुलिस ने गुजरात के राजकोट से गिरफ्तार कर लिया था। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने मामले में एक्शन लेते हुए अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया था। अस्पताल को विभिन्न सरकारी योजनाओं की लिस्ट से भी हटा दिया था।

किडनी कांड की जांच के लिए कलेक्टर ने पांच डॉक्टरों की कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जांच में डॉ. संजय धनखड़ को दोषी माना था। लापरवाही में सामने आया था कि डॉ. संजय धनखड स्वयं जनरल सर्जन है। किडनी का ऑपरेशन करते वक्त वहां नेफ्रोलाॅजिस्ट या यूरोलॉजिस्ट भी मौजूद होना चाहिए था। इसके साथ ही डॉक्टर को किडनी निकालने के बाद उसकी बायोप्सी करवानी चाहिए थी लेकिन नहीं करवाई गई थी। किडनी निकालने के बाद उसे ट्रे में रख दिया गया था जिससे वह संक्रमित हो गई थी। जो बड़ी लापरवाही थी। कमेटी ने माना है कि डॉ. धनखड ने संक्रमित किडनी के स्थान पर सही किडनी निकाल दी थी। डॉक्टर संजय धनखड़ पर पहले भी इलाज में लापरवाही के आरोप लग चुके हैं। डॉ धनखड़ पहले राजकीय बीडीके अस्पताल में सर्जन थे। 2017 में इलाज में लापरवाही से एक मरीज की मौत के बाद उसे सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद सरकारी नौकरी छोड़कर धनखड़ ने खुद का हॉस्पिटल खोल लिया था।

(Udaipur Kiran) / रमेश

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