Jammu & Kashmir

साप्ताहिक श्रृंखला संडे थियेटर के तहत नाटक इंकलाब  मंचन किया

साप्ताहिक श्रृंखला संडे थियेटर के तहत नाटक इंकलाब  मंचन किया

जम्मू, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । नटरंग स्टूडियो थियेटर में साप्ताहिक श्रृंखला ‘संडे थियेटर’ के तहत बलवंत ठाकुर के नाटक ‘इंकलाब’ ने लोगों को झकझोर दिया। नीरज कांत द्वारा निर्देशित इस विद्रोही विचारोत्तेजक नाटक ने नटरंग स्टूडियो में सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपरंपरागत वैकल्पिक रंगमंच शैली में सेट नाटक की शुरुआत देश के बड़े मानव संसाधन का प्रतिनिधित्व करने वाले युवाओं के एक समूह से होती है जो व्यवस्था से बेहद निराश और निराशावादी दिखाई देते हैं। हर किसी के पास साझा करने और प्रसारित करने के लिए एक भयावह कहानी है जिसका उद्देश्य मौजूदा हालात के बारे में जनता को झकझोरना है।

सभी तरह के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, कुशासन, चोरी-चकारी और अराजकता के चरम से निराश और हतोत्साहित सभी लोग व्यवस्था को सही करने का रास्ता तलाश रहे हैं। इस स्तर पर जहां वे स्वयं सहित व्यवस्था में विश्वास खो चुके हैं उन्हें अलगाववादी तत्वों के प्रति प्रवृत्त दिखाया गया है। उन्हें आत्मसमर्पण की स्थिति में पाकर राष्ट्र-विरोधी उन्हें हथियार संघर्ष शुरू करने के लिए प्रेरित करते हैं। अन्य उन्हें भ्रष्ट व्यवस्था से बदला लेने के लिए बर्बरता करने के लिए प्रेरित करते हैं। इस तरह के दुस्साहस के अंतिम परिणाम से अवगत कुछ लोग अभी भी एक सौहार्दपूर्ण रास्ता खोजने की उम्मीद करते हैं।

अनिश्चितता की स्थिति में एक उद्धारकर्ता उभरता है जिसके पास एक अहिंसक अदृश्य मिसाइल है। इस अदृश्य अलौकिक हथियार के बारे में जानने की जिज्ञासा से सभी उस मिसाइल को अपने कब्जे में लेने के लिए इस उद्धारकर्ता के सामने झुक जाते हैं। वह सभी को एक छोटा सा कागज दिखाकर आश्चर्यचकित करता है जिस पर एक ‘वोट’ की शक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसे एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के नागरिक का सबसे शक्तिशाली अदृश्य अहिंसक हथियार बताते हुए वह उन्हें इसका सही तरीके से उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है ताकि उनके सपनों और आकांक्षाओं की व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने आगे बताया कि इस देश की किस्मत बदलने के उद्देश्य से एक नई क्रांति ‘इंकलाब’ संभव है बशर्ते हम सभी वोट करें और वह भी बिना किसी डर व किसी के प्रभाव में आये। अपनी उंगली की शक्ति का पूरा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कविता जहां मन बाहर है और सिर ऊंचा है….मेरे देश को जगाओ के साथ समापन किया। इस सशक्त रंगमंच को जीवंत करने वाले कलाकारों में नीरज कांत, पलशिन दत्ता, कननप्रीत कौर, अमित राणा, प्रिया कश्यप, मिहिर गुजराल, विशाल शर्मा और कुशल भट्ट शामिल थे।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा / बलवान सिंह

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