सीहोर, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय पांच दिवसीय शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन रविवार को कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि प्रार्थना ही ईश्वर से जोड़ती है, प्रार्थना सुख और शान्ति प्रदान करती है, यह हमारा जीवन आसान बनाती है। अपने इष्टदेव से अपना संबंध जोड़ते हुए घट घट वासी अंतर्यामी उस महाशक्ति को सर्वत्र अनुभव करते हुए अपने हृदय मंदिर में आह्वान कीजिए कि जीवन के अंतिम भाग तक भी हमारा समर्थ बना रहे। सावन मास का पावन अवसर है और आज हरियाली अमावस्या भी है। उन्होंने यहां पर उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं से पौधा रोपण की अपील भी की। इस मौके पर कथा के मुख्य यजमान पंडित विनय मिश्रा सहित अन्य ने आरती की।
पंडित मिश्रा ने कहा कि हर कोई सफलता चाहता है। सफलता तब मिलती है जब हमारा मन एकाग्र हो। उसमें कोई दुविधा ना हो। कोई कन्फ्यूजन की स्थिति ना रहे। किसी भी तरह से हम विचलित ना रहें। लेकिन, ऐसा कम ही लोग कर पाते हैं। वे लोग विरले ही होते हैं जो अपने मन को इतना एकाग्र रखते हैं कि अपने लक्ष्य से कभी भटकते नहीं हैं। कई जन्मों के पुण्य संचित होते हैं तब जाकर भक्ति ज्ञान वैराग्य की त्रिवेणी में गोता लगाने का अवसर प्राप्त होता है। कथा को मनोरंजन के रूप में नहीं लेना चाहिए, कथा मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि मनोमंथन के लिए होता है। कथा सुनकर जाते समय इस बात का मंथन अवश्य करना चाहिए कि कथा की कौन सी बातें हमारे जीवन के लिए अनुकरणीय है, बीच-बीच में भगवान भोलेनाथ के भजनों को सुनाकर स्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कहा कि कथा सत्संग भाग्य से ही मिलता है। मंदिर में भगवान के दर्शन करने से बड़ी बात भक्ति में रम जाने की है। शब्द ब्रह्म शक्ति है। तन की जल से, मन की धन से और आत्मा की शुद्धि सत्संग से होती है।
कथा के पांचवें दिवस पंडित मिश्रा ने कहा कि सौभाग्यशाली होते हैं वैसे लोग जो अपने जीवनकाल में इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं। पुराणों के अनुसार शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए थे, उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रात:काल और संध्याकाल के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेते हैं, उनके पिछले सात जन्मों के पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से धुल जाते हैं। मानव का जीवन भगवान की भक्ति के लिए हुआ है और इस कलियुग में भक्ति से बड़ा कुछ नहीं है। कर्म के साथ भगवान की भक्ति करें।
(Udaipur Kiran) तोमर / उम्मेद सिंह रावत