मन्दसौर 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
रविवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी श्री आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि सुख और दुख दोनों मन को स्पर्श करते है सुख हमें अच्छा लगता है और दुख बुरा लेकिन जिस पर ईश्वर की अनुकम्पा कृपा हो जाती है उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते है। स्वामीजी ने बताया कि भगवान की कृपा से अभिशाप भी वरदान बन जाता है भगवान की जिस पर क़ृपा हो जायें उसका कोई कुछ नहीं बिगाड सकता। आपने बताया कि श्री कृष्ण भगवान को श्राप मिला था कि उनका कुल यादव वंश सब आपस में लडकर खत्म हो जायेगा द्वारिका नगरी भी खत्म हो जायेगी उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चचेरे भाई उद्धव को जिस पर उनकी विशेष कृपा थी उसें द्वारिका से बद्रीनाथ भेज दिया था और वे उस श्राप से बच गये अर्थात भगवान की जिस पर कृपा हो जायें उसका कोई कुछ नहीं बिगाढ सकता है।
वैराग्य और ज्ञान के बिना भक्ति अधूरी
स्वामीजी ने धर्मसभा में बताया कि वैराग्य और ज्ञान के बिना भक्ति अधूरी होती है। भक्ति में वैराग्य और ज्ञान का होना आवश्यक है तभी आप प्रभु से मिलन कर पाओंगे। आपने बताया कि मेरा मेरा कहने से बंधन में बंध जाओंगे और मेरा कुछ नही है कहने से सारे बंधनों से मुक्त होकर प्रभु भक्ति में लग जाओंगे।
(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया तोमर