Chhattisgarh

हरेली पर कृषि औजारों की पूजा, सुख-समृद्धि की कामना की गई

ग्राम श्यामतराई में कृषि औजारों की पूजा के बाद बैठे हुए किसान परिवार।

धमतरी, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । जिले में अंचल का प्रथम त्योहार हरेली उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। सावन माह के कृष्ण पक्ष में अमावस्या के दिन हरेली त्योहार मनाया जाता है। किसानों ने अपने खेतों में उपयोग किए जाने वाले कृषि यंत्रों की सफाई कर पूजा अर्चना की। गुड़ के चीला का प्रसाद चढ़ाया गया। अनेक क्षेत्रों में विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं हुई। विशेषकर नारियल फेंक, गेड़ी दौड़ में बच्चे, युवाओं और बुजुर्गों ने हिस्सा लिया। शहर के वार्डों और गांवाें में हरेली पर्व का उत्साह देखते ही बना।

सावन माह में होने वाला हरेली तिहार किसानों के लिए सबसे बड़ा और पहला त्योहार होता है। बारिश की वजह से चारों तरफ हरियाली नजर आती है। छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार से ही अन्य त्योहारों की शुरुआत होती है। इसलिए इस दिन चारों ओर हरियाली और खुशहाली बनी रहे, इसके लिए कामना करते हैं। सुबह ज्यादातर किसान अपने घर में पाले हुए मवेशियों को वन औषधि खिलाते हैं ताकि उन्हें कृषि प्रकार की बीमारी न हो। खेती किसानी के उपयोग में लाए जाने वाले रापा, कुदाली, गैंती, नांगर, हंसिया आदि औजारों की सफाई कर पूजा की गई। खेतों और घरों में संक्रामक बीमारियों के रक्षा के लिए नीम की टहनी लगाए जाने की परंपरा आज भी जारी है। हरेली पर्व को लेकर पूरे अंचल में उत्साह है। कई जगहों पर नारियल फोड़ प्रतियोगिता रखी जाती है। इस दिन पारंपरिक व्यंजन गुड़ चीला, गुलगुला भजिया बनाने का प्रचलन है।

हरेली पर गेड़ी का है विशेष महत्व

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार हरेली में गेड़ी चढ़ने की परंपरा आज भी कायम है। बच्चे बांस से बने गेड़ी चढ़कर उत्साह से त्योहार मनाते है। आज कल रेडीमेड गेड़ी भी बिकने के लिए उपलब्ध है। हालांकि पहले जैसे गेड़ी चलाते हुए लोग कम दिखाई देते हैं। पहले तो लोग अपने से भी ऊंचे बांस की गेड़ी चलाते थे। इसमें चढ़ने के लिए किसी चीज का सहारा लिया जाता है। पंजा रखने की जगह नारियल रस्सी का उपयोग किया जाता है। कुछ लोग इसमें मिट्टी तेल भी डाल देते हैं। जिससे आवाज भी आती है।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा / चन्द्र नारायण शुक्ल

Most Popular

To Top