Madhya Pradesh

हर दुख एक सबक देता है और हर सबक इंसान को बदल देता हैः पंडित राघव मिश्रा

हर दुख एक सबक देता है और हर सबक इंसान को बदल देता हैः पंडित राघव मिश्रा
हर दुख एक सबक देता है और हर सबक इंसान को बदल देता हैः पंडित राघव मिश्रा

सीहोर, 3 अगस्त (Udaipur Kiran) । हर दुख एक सबक देता है और हर सबक इंसान को बदल देता है। इंसान को समय रहते अपने जीवन को सार्थक करने के लिए परमात्मा के नाम का स्मरण रहना चाहिए, जिससे उसका मनुष्य जीवन सफल हो जाए, जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप ईश्वर पर भी विश्वास नहीं कर सकते है।

यह विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय शिव महापुराण के चौथे दिन शनिवार को प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने व्यक्त किए। शनिवार को कथा के दौरान माता सती, भगवान शिव और माता पार्वती और भगवान गणेश के जन्म का विस्तार से वर्णन किया गया।

पंडित राघव मिश्रा ने शिव महापुराण के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य, भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है।

भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन

पंडित मिश्रा ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि शिवजी जब बारात लेकर चलने लगे तो उनकी बारात में भूत-प्रेत,बेताल सब मगन होकर नाच रहे थे। भगवान शिव स्वयं नंदी पर विराजमान थे और गले में नाग की माला धारण किए हुए थे। साथ में भगवान विष्णु और ब्रह्माजी भी देवताओं के साथ लेकर चल रहे थे। त्रिलोक शिव विवाह के आनंद से मगन हो रहा था। हर तरफ शिवजी के जयकारे लग रहे थे। बारात नगर भ्रमण करते हुए देवी पार्वती के पिता राजा हिमवान के द्वार पहुंची। बारात के स्वागत के लिए महिलाएं आरती की थाली लेकर आयीं।

भगवान शिव की सासु मां मैना अपने दामाद की आरती उतारने दरवाजे पर पहुंची। भगवान शिव की सामने जब मैना पहुंची तो शिवजी का रूप देखकर चकरा गईं। उस पर शिवजी ने अपनी और लीला दिखानी शुरू कर दी। मैना वहीं अचेत होकर गिर गईं। मैना को होश आया तो उन्होंने शिवजी के साथ अपनी सुकुमारी कन्या देवी पार्वती का विवाह करने से मना कर दिया। मैना ने कहा कि देवी पार्वती सुकुमारी को बाघंबरधारी, भस्मधारी को नहीं दे सकती। माता को व्याकुल देख पार्वती समझ गईं कि यह सब शिवलीला के कारण हो रहा है। देवी पार्वती ने कहा कि हे माता और पिताजी आप मुझे शिवजी से मिलने की आज्ञा दें फिर आपको शिव उसी रूप में मिलेंगे जैसा आप चाहते हैं।

(Udaipur Kiran) तोमर / उम्मेद सिंह रावत

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