जींद, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । सावन माह की शिव रात्रि का पर्व पर शुक्रवार को हर्षोंल्लास व श्रद्धा से मनाया गया। सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल से जलाभिषेक गौमुख, हरिद्वार से डाक कांवड़ लेकर आने वालों ने किया। डाक कांवड़ के बाद झूला, खड़ी, बैठी कांवड़ लेकर आने वालों ने जलाभिषेक किया। सुबह ही मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचे शुरू हो गए थे। मंदिर में भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी।
पूजा-अर्चना को लेकर लंबे समय तक इंतजार लाइन में लग कर करना पड़ा। उचाना कलां के प्राचीन शिव मंदिर में भगवान शिव शंकर की सुंदर-सुंदर झांकियों ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया था। यहां पर टीम बना कर शिव भक्तों की ड्यूटी व्यवस्था बनाने के लिए लगाई हुई थी। मंदिर के गेट के बाहर खेल-खिलौने के स्टॉल पर श्रद्धालु बच्चों के साथ खरीददारी करते नजर आए। यहां पर खीर सहित अन्य प्रसाद भी श्रद्धालुओं को दिया गया। आचार्य सत्यनारायण शांडिल्य ने कहा कि सावन माह में शिवरात्रि का बड़ा महत्व है। पूरे सावन में भगवान शिव की पूजा करने के साथ-साथ हर सोमवार, शिवरात्रि के दिन पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। भगवान भोले शंकर अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते है। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि शिवभक्त फाल्गुन माह की शिव रात्रि के बाद सावन माह की शिवरात्रि का विशेष तौर पर इंतजार करते हैं। क्योंकि भगवान शिव को प्रिय सावन की शिवरात्रि की महिमा अलग होती है। सावन माह की शिवरात्रि का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि इसदिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करना पुण्य कारक माना गया है। मंदिर में शिवलिंग के रूद्राभिषेक के दौरान हर-हर महादेव के जयकारों से माहौल गूंजायमान हुआ।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा / SANJEEV SHARMA