– भारतीय सेना के तीन लैब्राडोर कुत्ते जाकी, डिक्सी और सारा में है सूंघने की बेजोड़ शक्ति
– मद्रास सैपर्स ने 16 घंटे के रिकॉर्ड समय में 24 टन क्षमता वाले 190 फीट बेली ब्रिज बनाया
नई दिल्ली, 02 अगस्त (Udaipur Kiran) । वायनाड में सेनाओं की ओर से बचाव कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। भूस्खलन के बाद मलबे में तब्दील हुए मकानों में शुक्रवार से प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से ‘जिंदगी’ की तलाश शुरू की है लेकिन ज्यादातर शव ही मिल रहे हैं, जिन्हें स्थानीय प्रशासन को सौंपा जा रहा है। खराब मौसम, बढ़ते जलस्तर और सीमित स्थान के बीच भारतीय सेना के मद्रास सैपर्स ने 16 घंटे के रिकॉर्ड समय में 24 टन क्षमता वाले 190 फीट बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर यातायात के लिए खोल दिया है। इरुवानिपझा नदी पर चूरलमाला को मुंडक्कई से जोड़ने वाला यह पुल सेना ने नागरिक प्रशासन को सौंप दिया है।
वायनाड में भूस्खलन के बाद शुरू किये गए बचाव एवं राहत कार्य लगभग पूरे कर लिए गए हैं। मलबे में तब्दील हुए आबादी क्षेत्र में अब जिंदा बचे लोगों या फिर शवों की खोजबीन शुरू की गई है। सेना का आज सुबह 7:00 बजे डॉग स्क्वॉड के साथ तलाशी अभियान फिर से शुरू हुआ। सेना ने एक बयान में कहा कि ह्यूमन्स बेस्ट फ्रेंड वायनाड में मलबे के नीचे फंसे इंसानों को खोजने के लिए इंसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करता है। भारतीय सेना के तीन लैब्राडोर कुत्ते जाकी, डिक्सी और सारा कीचड़ या बारिश की परवाह किए या बिना थके जीवन की तलाश में लगे हुए हैं। भारतीय सेना के तीनों खोजी और बचाव कुत्ते अपने मिशन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से प्रेरित हैं और अपनी सूंघने की बेजोड़ शक्ति से मलबे और गाद की गहराई में देख रहे हैं।
सेना की मद्रास सैपर्स ने अपनी अदम्य भावना और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड समय में 16 घंटे के भीतर 24 टन क्षमता वाले 190 फीट बेली ब्रिज का निर्माण पूरा करके मुख्यधारा से कटे चूरलमाला को मुंडक्कई से जोड़ दिया है। यह बेली ब्रिज नागरिक प्रशासन को सौंपने के साथ ही हाई अर्थ मूवमेंट इक्विपमेंट को दूसरी तरफ शिफ्ट किया गया है। डीसी वायनाड कार्यालय में आज हुई बैठक के बाद वाहनों की आवाजाही को नागरिक प्रशासन नियंत्रित कर रहा है। लड़ाकू इंजीनियर मेजर सीता शेल्के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित स्थानों में से एक पर बचाव और राहत कार्य करने वाले दस्ते का नेतृत्व कर रही हैं।
पैंगोडे सैन्य स्टेशन त्रिवेंद्रम से 2 अधिकारी डॉक्टरों और 10 कर्मियों सहित दो चिकित्सा दल वायनाड आपदा में घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों और आपदा राहत टीमों के साथ समन्वय में बचाव अभियान और राहत सामग्री की सुविधा प्रदान करते हुए मेडिकल टीम प्राथमिक उपचार प्रदान कर रही है। भारतीय वायु सेना की ध्रुव (एएलएच) हेलीकॉप्टर टीम ने 400 किलोग्राम राहत सामग्री वितरित की, जबकि पैंगोडे सैन्य स्टेशन से दो चिकित्सा टीमों ने वायनाड में घायलों को राहत और चिकित्सा सहायता प्रदान की।
भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) जिला मुख्यालय (केरल और माहे) और आईसीजी स्टेशन बेपोर राज्य प्रशासन, भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), अग्निशमन और बचाव सेवाओं, स्थानीय पुलिस और विभिन्न स्वयंसेवी समूहों के समन्वय में वायनाड में चल रहे आपदा राहत कार्यों में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। आईसीजी के डिप्टी कमांडेंट विवेक कुमार दीक्षित के नेतृत्व में 35 कर्मियों वाली आईसीजी टीम चूरलमाला और आस-पास के गांवों में बचाव अभियान चला रही है। टीम ने आपदा क्षेत्रों में फंसे कई नागरिकों की सहायता देकर उन्हें सुरक्षित स्थानों और राहत शिविरों में स्थानांतरित करने में मदद की है। यह टीम जीवित बचे लोगों और लापता लोगों की तलाश में मलबे को साफ करने में भी लगी है।
आईसीजी के कमांडेंट अमित उनियाल ने बताया कि जमीनी प्रयासों को बढ़ाने के लिए तटरक्षक वायु एन्क्लेव ने कालीकट से एक उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर (एएलएच) तैनात किया है और बचाव में हवाई प्रयासों को बढ़ाने के साथ-साथ राहत सामग्री को हवाई मार्ग से गिराने के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है। इसके अतिरिक्त आईसीजी जहाज अभिनव को कोच्चि से बेपोर भेजा जा रहा है, जिसमें जीवन रक्षक उपकरण, राहत सामग्री, दवाइयां और ताजा पानी है। ये आपूर्ति वायनाड में विभिन्न आपदा राहत शिविरों में वितरित की जाएगी। चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति और कठिन भूभाग के बावजूद आईसीजी स्थानीय लोगों और जिला प्रशासन की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है।
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम पाश