नई दिल्ली, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के सेक्रेटरी ओम प्रकाश मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विजिलेंस विभाग ने अब ओपी मिश्रा के खिलाफ 2002 से जुड़े एक मामले में जांच पड़ताल शुरू की है, जिस वक्त वह तिहाड़ जेल में सुपरिटेंडेंट के तौर पर कार्यरत थे। उन पर तिहाड़ जेल के कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने की एवज में कथित तौर पर भ्रष्टाचार कर लग्जरी फ्लैट खरीदने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस संबंध में बुधवार को दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने तिहाड़ के महानिदेशक को एक पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी है।
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर की ओर से सीनियर दानिक्स अधिकारी ओपी मिश्रा के खिलाफ मिली शिकायत का हवाला देते हुए तिहाड़ जेल महानिदेशक सतीश गोलचा को पत्र लिखकर बयौरा मांगा गया है। ओपी मिश्रा पर आरोप है कि तिहाड़ अधीक्षक पद पर रहते हुए कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देकर भ्रष्ट तरीकों से दो लग्जरी फ्लैट खरीदे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान में मेसर्स एचएलएफ एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (एल-4, ग्रीन पार्क, नई दिल्ली) नामक कंपनी के कुछ कर्मचारियों को तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद रहने के दौरान वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था।
ओपी मिश्रा ने इस कंपनी के कर्मचारियों की जमानत याचिकाओं में भी कथित तौर पर पूरी मदद की थी और जेल में रहते हुए उनको वह सभी सुविधाएं मुहैया करने में सहायता की थी, जो वीआईपी सुविधाएं होती हैं। इसके बदले अधिकारी को कथित तौर पर गुरुग्राम स्थित एंबिएंस वैली (लग्जरी फ्लैट्स) में कंपनी के दो फ्लैट बहुत ही कम कीमत पर खरीदने में मदद की गई, जो ओपी मिश्रा और उनके पिता लक्ष्मण मिश्रा के नाम बताए गए हैं।
मिश्रा पर आरोप है कि उनकी तरफ से 23 जनवरी 2002 को तत्कालीन डीआईजी, सेंट्रल जेल को एक डिक्लेरेशन दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनका इस कंपनी के साथ न तो वर्तमान और न ही अतीत में कोई आधिकारिक संबंध रहा है। विजिलेंस विभाग का मानना है कि इस तरह की डिक्लेरेशन फाइल कर उनकी तरफ से सरकार को दी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने का काम किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह की कार्रवाई गलत और भ्रष्ट इरादों को पूरा करने के लिए की गई।
विजिलेंस विभाग के सहायक निदेशक की ओर से डीजी सेंट्रल जेल को भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया कि जांच से पता चला कि रमेश शाह के खिलाफ हौज खास थाना (ईओडब्ल्यू) में एफआईआर संख्या 187/2002 के तहत मामला दर्ज था, जिसके चलते वो तिहाड़ जेल में बंद थे। जिस अपराध के लिए वो जेल में बंद थे वो मामला रमेश शाह की पिछली कंपनी से संबंधित था, लेकिन न्यायिक हिरासत के समय, वह कथित तौर पर मेसर्स एचएलएफ एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थे। इस कंपनी का नाम बाद में बदलकर मेसर्स एंबियंस डेवलपर्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में कर दिया गया था।
जेल महानिदेशक से आग्रह किया गया है कि रमेश शाह की जेल में रहने की डिटेल का पुष्टि की जाए और संबंधित रिपोर्ट मुहैया करवायी जाए। साथ ही रमेश शाह के न्यायिक हिरासत के समय ओपी मिश्रा के कार्यकाल का ब्यौरा भी उपलब्ध करवाया जाए। विजिलेंस विभाग ने डीजी (जेल) से यह भी जानकारी मांगी है कि जिस वक्त रमेश शाह तिहाड़ जेल में थे, वो मेसर्स एचएलएफ एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थे या नहीं। इस संबंध में तिहाड़ जेल महानिदेशक से अगले सात दिनों के भीतर जानकारी उपलब्ध करवाने को कहा गया है।
सूत्रों की मानें तो विभाग की ओर से मेसर्स एंबिएंस डेवलपर्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से भी यह सत्यापन करने का आग्रह किया है कि वह रमेश शाह के बारे में यह बताएं कि साल 2001-2003 में मेसर्स एचएलएफ एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थे। सतर्कता विभाग ने कंपनी से रमेश शाह का सीवी/बायोडाटा सात दिनों के भीतर मुहैया करवायी जाए। ओपी मिश्रा को भी पत्र भेजकर 7 दिनों के अंदर अपना जवाब देने को कहा है। इस मामले की सूचना दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) को भी दी गई है।
इससे पहले ओपी मिश्रा सौरभ भारद्वाज के उद्योग मंत्रालय के डीएसआईआईडीसी के प्रबंध निदेशक रहे पीएन शर्मा को 28 फरवरी, 2023 को रिटायर होने से चार दिन पहले 24 फरवरी, 2023 की डेट में एक अर्जेंट ऑर्डर निकालकर ओएसडी नियुक्त करने मामले में घिरे हुए हैं। इस मामले पर भी विजिलेंस विभाग की ओर से उनको कारण बताओ नोटिस भेजकर जवाब तलब कर चुका है।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी / आकाश कुमार राय