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हाई कोर्ट ने फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट पर जताई चिंता

Allaabad High Court

– कहा, नागरिक जीवन साथी चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर सुरक्षा आदेश न मांगें

प्रयागराज, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी कर विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेने पर गम्भीर चिंता जताई तथा इस प्रक्रिया में विवाह पंजीकरण कार्यालय के अधिकारियों के संलिप्तता की बात कही है। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने कहा कि विवाह की पवित्रता को उन व्यक्तियों द्वारा खतरे में डाला गया है जिन्होंने हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 का उल्लंघन करते हुए विवाह किया है। ऐसा कर एक ऐसी प्रवृत्ति की शुरुआत की है जिसका समाज के सामाजिक ताने-बाने पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।

न्यायमूर्ति दिवाकर ने कहा, “यह कोर्ट इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता कि स्थानीय पुलिस और नागरिक प्रशासन के समर्थन के बिना, ऐसी गतिविधियां संगठित तरीके से जारी नहीं रह सकतीं।“ न्यायालय ने विवाह की पवित्रता के साथ छेड़छाड़ की निंदा की है। विशेष रूप से हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के उल्लंघनों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण समाज पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

हाई कोर्ट ने माना कि नागरिक अपने जीवन साथी चुनने और वैवाहिक सम्बंध बनाने या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के हकदार हैं लेकिन ऐसी कार्रवाई वैधानिक प्रावधानों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वयस्क होने के बाद नागरिक अपने जीवनसाथी को चुनने और उसके अनुसार वैवाहिक संबंध बनाने या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन ऐसा वैधानिक प्रावधानों की कीमत पर या भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत सुरक्षा की आड़ में न्यायालय के समक्ष जाली और मनगढ़ंत दस्तावेज दाखिल करके नहीं किया जा सकता। इस न्यायालय ने अनेक मामलों में प्रतिदिन 10-15 मामलों में देखा है कि विवाह स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी से सम्पन्न होते हैं, जिसके बाद प्रयागराज, गाजियाबाद और नोएडा में विवाह पंजीकरण अधिकारी के पास फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण कराया जाता है।

न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा के आर्य समाज मंदिर में विवाह करने का दावा करने वाले एक जोड़े शनिदेव व अन्य द्वारा दायर सुरक्षा की मांग सम्बंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। राज्य ने उनके विवाह प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए, जिसके कारण न्यायालय ने अपंजीकृत संगठनों द्वारा जारी किए जा रहे नकली प्रमाण पत्रों के साथ चल रहे मुद्दों को उजागर किया।

हाई कोर्ट को सरकार की तरफ से बताया गया कि फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट का गौतमबुध नगर, नोएडा व गाजियाबाद केन्द्र है। जवाब में कोर्ट ने गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के सहायक महानिरीक्षक पंजीकरण (स्टांप और पंजीकरण) को अगली सुनवाई में पेश होने के लिए तलब किया है। अधिकारियों को विवाह पंजीकरण नियम, अधिसूचनाएं, सरकारी आदेश और पिछले एक साल में उनके अधिकार क्षेत्र में पंजीकृत विवाहों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के महानिरीक्षक स्टाम्प को निर्देश दिया कि वे 1 अगस्त, 2023 से 1 अगस्त, 2024 तक उत्तर प्रदेश में पंजीकृत विवाहों की संख्या जिलेवार आधार पर उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने लखनऊ में प्रमुख सचिव (स्टाम्प एवं पंजीकरण) को निर्देश दिया कि वे 6 अगस्त को निर्धारित अगली सुनवाई की तारीख तक अपने आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें ताकि राज्य में विवाह पंजीकरण के बारे में चल रही चिंताओं को दूर किया जा सके।

हाई कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन), लखनऊ यह सुनिश्चित करेंगे कि इस आदेश की शर्तों का अगली निर्धारित तिथि तक अक्षरशः अनुपालन किया जाए। प्रमुख सचिव (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन) यह सुनिश्चित करेंगे कि रिपोर्ट पठनीय हो और उचित फॉन्ट साइज तथा लाइनों के बीच स्पेस के साथ विधिवत टाइप की गई हो। कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देश दिया जाता है कि वे इस आदेश की एक प्रति प्रमुख सचिव (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन), लखनऊ, महानिरीक्षक स्टांप, प्रयागराज तथा सहायक महानिरीक्षक पंजीयन (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन), गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर तथा प्रयागराज को तत्काल प्रभाव से भेजें।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / पवन कुमार श्रीवास्तव

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