लखनऊ, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । जीएसटी विभाग मेट्रांसफर-पोस्टिंग कराने का एक बड़ा नेटवर्क विभागीय स्तर पर सक्रिय है। इस नेटवर्क में शामिल विभागीय अधिकारियों का एक बड़ा खेल सामने आया है। इन अधिकारियों ने पारदर्शिता को तार-तार करते हुए विभागीय दस्तावेजों को छुपाते हुए कई लोगों को मनचाही तैनाती दिलाने में कामयाब हुए हैं।
शासन स्तर पर हुई एक गोपनीय शिकायत में बताया गया है। ट्रांसफर-पोस्टिंग के इस रैकेट में तबादला नीति के विरुद्ध स्थानांतरण किए जा रहे हैं। 30 जुलाई को जारी हुई एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 की तबादला सूची में सात नामों को देखा जा सकता है। पहली बात यह है कि एक ग्रेड-1 की एक वर्ष में नीति के विरुद्ध तीन बार ट्रांसफ़र किए गए। एक एडिशनल ग्रेड-1 का ट्रांसफर अभी नौ माह पूर्व ही हुआ था। उन्हें अब मलाईदार जोन मुरादाबाद में नियम विरूद्ध तैनाती दी गयी।
इसके साथ ही सबसे बड़ा खेल विभाग के साथ किया गया है। प्रदेश में सर्वाधिक राजस्व देने वाले गाजियाबाद जोन में किसी भी अधिकारी की तैनाती इसलिए नहीं की गई कि वहां पर मोटी कमाई करने वाला एडिशनल कमिश्नर तैनात है। उसने खुद को प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव का रिश्तेदार बताकर लिया था। अब वह अधिकारी इस चार्ज को नहीं छोड़ना चाह रहा। वह अधिकारी भी खुद कहता है कि उसका चार्ज कोई नहीं हटा सकता। इस अधिकारी अपने रिश्तेदार को कानपुर पोस्टिंग के साथ एक ज़ोन का अतिरिक्त चार्ज के लिए दावा किया था।
मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में कहा गया है कि पॉलिसी के विपरीत इस विभाग में ट्रांसफ़र-पोस्टिंग का एक रैकेट चल रहा है। जिसमें कई अधिकारी शामिल है। ऐसे अधिकारियों की जांच कराकर कड़ी कार्रवाई की जाए।
(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा / बृजनंदन यादव