कोलकाता, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । राशन घोटाले के मामले में गिरफ्तार बकीबुर रहमान को राज्य ने चावल का ठेका देना बंद कर दिया है। इसके खिलाफ बकीबुर के भाई सईदुल रहमान और उनकी कंपनी एनपीजी राइस मिल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अदालत में राज्य ने सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है और जिसे ईडी ने गिरफ्तार किया है, उसकी कंपनी को ठेका कैसे दिया जा सकता है? इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह फिर से होगी।
हाल ही में राशन वितरण मामले में गिरफ्तार हुए उत्तर 24 परगना के व्यापारी बकीबुर रहमान, पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के करीबी हैं। उनकी कंपनी को राज्य ने चावल का ठेका देना बंद कर दिया। इस फैसले को चुनौती देते हुए बकीबुर के भाई सईदुल रहमान और एनपीजी राइस मिल ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान राज्य ने कहा, केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने बताया है कि बकीबुर की कम से कम 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला है। उनके नाम, बेनामी, और रिश्तेदारों के नाम पर 90 से अधिक संपत्तियों का पता चला है। बकीबुर के कम से कम छह कंपनियों में शेयर हैं, जिनकी कुल संपत्ति 50 करोड़ रुपये से अधिक है। न्यू टाउन, राजारहाट, और पार्क स्ट्रीट में कई फ्लैट हैं।
ईडी के अनुसार, बकीबुर राशन घोटाले के प्रमुख लोगों में से एक हैं। उनके पास कई होटल, पब, और विदेशों में भी सम्पत्तियां हैं। यदि इन सभी तथ्यों के बावजूद बकीबुर और उनकी कंपनी को चावल का ठेका दिया जाता है, तो राज्य की भूमिका पर सवाल उठेगा।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं और राइस मिल का कहना है कि इस राइस मिल के कई निदेशक हैं, जिनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है। बकीबुर रहमान के खिलाफ आरोप होने के बावजूद वह केवल कंपनी के एक निदेशक हैं। जो लोग उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कोई आरोप नहीं है।
याचिका में दावा किया गया है कि यदि उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है, तो आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत उन्हें ठेका क्यों नहीं दिया जाएगा?
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर / गंगा