HEADLINES

श्रद्धा हत्याकंडः आरोपित आफताब की ‘हर महीने केवल दो सुनवाई’ की मांग खारिज

Delhi High Court File Photo

-कोर्ट ने कहा, व्यावसायिक असुविधा ट्रायल को देर करने की वजह नहीं हो सकती

नई दिल्ली, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुचर्चित श्रद्धा हत्याकांड मामले में आरोपित आफताब की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने मांग की थी कि हाई कोर्ट ट्रायल कोर्ट को ये निर्देश दे कि वो हर महीने केवल दो सुनवाई करे। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि व्यावसायिक असुविधा ट्रायल को देर करने की वजह नहीं हो सकती है।

सुनवाई के दौरान आफताब की ओर से पेश वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में प्रमुख गवाहों के बयान बचाव पक्ष के मुख्य वकील के समक्ष ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के वकील को गवाहों के क्रॉस-एग्जामिनेशन की तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। आफताब के वकील ने कहा कि उनकी आपत्तियों के बावजूद महीने में दस दिनों तक दिन भर कार्रवाई चली और वो अभी गवाहों के क्रॉस-एग्जामिनेशन करने की स्थिति में नहीं हैं। इस दलील को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने आफताब के वकील से कहा कि आप ट्रायल कोर्ट के मुताबिक अपने को एडजस्ट कीजिए ट्रायल कोर्ट आपके मुताबिक एडजस्ट नहीं करेगा।

इसके पहले 22 जुलाई को साकेत कोर्ट ने आफताब की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने हर महीने केवल दो सुनवाई करने की मांग की थी। आफताब ने याचिका दायर कर कहा था कि उसके मामले के ट्रायल के लिए महीने में केवल दो तिथियां तय की जाए ताकि उनके वकील को तैयारी करने का पूरा अवसर मिल सके। कोर्ट ने कहा कि लगता है कि आरोपित की याचिका ट्रायल में देर करने के लिए दायर की गई है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों की संख्या काफी ज्यादा है। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस के गवाह कांस्टेबल दीपक की गवाही पूरा होने में सात डेट लगे। ऐसे में अगर ट्रायल की तिथि महीने में केवल दो ही तय होगी तो ये काफी लंबा खिंचेगा।

इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 28 मई को आफताब के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल किया था। दिल्ली पुलिस की करीब तीन हजार पेजों की चार्जशीट में घटना के दौरान गूगल लोकेशन और सर्च हिस्ट्री का जिक्र किया गया है। इसके अलावा चार्जशीट में डिजिटल और फॉरेंसिक रिपोर्ट को शामिल किया गया है। साकेत कोर्ट ने 09 मई 2023 को इस मामले के आरोपित आफताब के खिलाफ हत्या करने का आरोप तय कर दिया था। एडिशनल सेशंस जज मनीषा खुराना कक्कड़ ने आफताब पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को नष्ट करने) के तहत आरोप तय किये थे।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि आफताब ने सोच समझ कर इस घटना को अंजाम दिया है। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि परिस्तिथिजन्य साक्ष्य से पता चलता है कि श्रद्धा और आफ़ताब का लिव-इन रिलेशन हिंसक था। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि श्रद्धा प्रैक्टो ऐप के जरिये डॉक्टरों से परामर्श भी ले रही थी। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में श्रद्धा की काउंसलिंग का वीडियो प्ले कर दिखाया था, जिसमें श्रद्धा कह रही है कि आफताब उसको खोज लेगा और मार देगा। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि श्रद्धा और आफ़ताब का लिव इन रिलेशन हिंसक था। इतना ही नहीं श्रद्धा ने आरोप भी लगाया था कि आफताब उसको मारता और गाली देता था। श्रद्धा को मारकर टुकड़ों में काटने की भी धमकी देता था और तो और आफताब ने उसे मारने की भी कोशिश की थी। दिल्ली पुलिस ने कहा था जांच के दौरान पुलिस को श्रद्धा की हड्डी, जबड़ा, और खून के निशान मिले। श्रद्धा के खून फ्रीज और कमरे की अलमारी में लगे हुए मिले।

07 फरवरी 2023 को साकेत कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था। 24 जनवरी 2023 को दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था। चार्जशीट 6629 पेजों का है। चार्जशीट में आफताब को एकमात्र आरोपी बनाया गया है। चार्जशीट में करीब सौ गवाहों के अलावा फॉरेंसिक और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को आधार बनाया गया है। बतादें कि आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर करीब तीस टुकड़े कर दिए थे। उसके शव के टुकड़ों को फ्रीज में रखा हुआ था। वो शव के अंगों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर फेंकता था। बाद में पुलिस ने आफताब की निशानदेही पर श्रद्धा के कई अंगों को बरामद किया।

(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा / आकाश कुमार राय

Most Popular

To Top