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बनासकांठा की ‘ड्रोन दीदी’ : आशाबेन चौधरी ने ड्रोन से दवा का छिड़काव कर 6 महीने में कमाए 1 लाख रुपये

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-गुजरात में सखी मंडल की महिलाएं भर रहीं आत्मनिर्भरता की ऊंची उड़ान

पालनपुर, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुजरात के गांवों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में इस दिशा में महत्वपूर्ण काम हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप आज गुजरात की ग्रामीण महिलाएं देश भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा की अनूठी मिसाल बन गई हैं। आज हम बात कर रहे हैं बनास की ड्रोन दीदी आशाबेन चौधरी की, जो गांव में रहकर अपने सपनों को साकार कर रही हैं।

बनास की ड्रोन दीदी

महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए निरंतर प्रयासरत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ड्रोन के उपयोग से महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए वर्ष 2023 से ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना लागू की है। इस योजना का उद्देश्य कृषि में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ड्रोन के जरिए खाद और कीटनाशकों का छिड़काव करना सिखाना है। ड्रोन दीदी योजना के तहत 10 से 15 गांवों की स्वयं समूहों की महिलाओं को एक साथ प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें ड्रोन चलाने का 15 दिवसीय प्रशिक्षण भी शामिल है। गुजरात में ऐसी ही एक ड्रोन दीदी हैं- आशाबेन चौधरी। बनासकांठा की डीसा तहसील के तालेपुरा गांव की निवासी 31 वर्षीय आशाबेन चौधरी पशुपालन और खेतीबाड़ी से जुड़े परिवार से आती हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई की है, और अभी ड्रोन दीदी कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर आसपास के क्षेत्रों में ड्रोन की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर आमदनी हासिल कर रही हैं।

पहले इंटरव्यू, फिर पुणे में पास की परीक्षा

ड्रोन उड़ान क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में आशाबेन ने कहा, “मुझे ड्रोन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी लेकिन मैं सखी मंडल द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभी कार्यक्रमों में शामिल होती थी, इसलिए मुझे ड्रोन दीदी कार्यक्रम के संबंध में जानकारी मिली। इस कार्यक्रम के तहत मैंने 2023 में पुणे में 15 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उससे पूर्व इफको में हमारा इंटरव्यू लिया गया था और फिर मैंने पुणे में परीक्षा दी थी। परीक्षा में हमसे ड्रोन उड्डयन और नागर विमानन महानिदेशालय के नियमों के विषय में प्रश्न पूछे गए। वहां से प्रशिक्षण लेने के बाद मैंने बनासकांठा में ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों का छिड़काव करना शुरू किया, और आज मेरे पास काम की कोई कमी नहीं है।”

ड्रोन को फील्ड में ले जाने के लिए ई-व्हीकल और बिजली के लिए जनरेटर सेट

आशाबेन को मीडियम साइज का ड्रोन है, जिसे फील्ड में ले जाने के लिए एक ई-व्हीकल और किसी कारणवश कुछ इलाकों में विद्युत आपूर्ति उपलब्ध नहीं होने की स्थिति से निपटने के लिए एक जनरेटर सेट भी दिया गया है। आशाबेन अरंडी, मूंगफली, पपीता, बाजरी और सौंफ सहित कई अन्य फसलों में ड्रोन की मदद से दवाइयों का छिड़काव कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि केवल छह महीने में उन्होंने इस काम से एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित की है।

ड्रोन की मदद से सात मिनट में एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव

ड्रोन की मदद से कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव के फायदों के बारे में आशाबेन ने कहा, “ड्रोन से छिड़काव व्यवस्थित तरीके से होता है और इससे समय और पैसा दोनों की बचत होती है। इसमें दवाई और पानी दोनों की मात्रा कम रहती है लेकिन छिड़काव उचित तरीके से होता है। एक ड्रोन सात मिनट के भीतर एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव कर सकता है। सौंफ जैसी ऊंची फसलों में ड्रोन से छिड़काव काफी सुलभ विकल्प है। हम ड्रोन से छिड़काव कराने वाले किसानों का आई खेड़ूत पोर्टल पर पंजीकरण कराते हैं, ताकि उन्हें राज्य सरकार की ओर से प्रतिपूर्ति भी मिल सके।”

अब अहमदाबाद और सुरेन्द्रनगर से भी मिलने लगे हैं ऑर्डर

आशाबेन ने बताया कि ड्रोन को संचालित करने में बहुत अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है। पहले वे ड्रोन में खेत का नक्शा फीड करती हैं और कम्पास का कैलिब्रेशन कर ड्रोन को निर्धारित क्षेत्र में संचालित करती हैं। इस काम से आसपास के किसानों के बीच उनकी प्रसिद्धि दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और बहुत ही अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे तो अब सुरेन्द्रनगर और अहमदाबाद से भी लगातार फोन आ रहे हैं। मुझे इस काम को करने में काफी खुशी मिल रही है। इतना ही नहीं, अब तो आसपास के लोग लड़कियों को मेरा उदाहरण भी देने लगे हैं।”

सफलता का अर्थ केवल सरकारी नौकरी ही नहीं, महिलाएं बनें सक्रिय भागीदार

आशाबेन आशापुरी सखी मंडल संचालित करती हैं, साथ ही वे कई अन्य सखी मंडलों के माध्यम से आसपास की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वे दो बेटियों की मां हैं और उनके परिवार की ओर से भी उन्हें इस काम के लिए पर्याप्त सहयोग और प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने राज्य की अन्य महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “सफलता का अर्थ केवल सरकारी नौकरी करना ही नहीं है, सरकार अनेक योजनाएं चला रही है और कई नए क्षेत्रों के द्वार भी खुले हैं। मैं महिलाओं से कहना चाहूंगी कि वे इन योजनाओं में सक्रिय रूप से भागीदार बनें। मैं काम भी करती हूं और अपने परिवार को पर्याप्त समय भी दे पाती हूं।”

गुजरात में 58 महिलाओं को मिला प्रशिक्षण

वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान देश में प्रारंभिक आधार पर लगभग 500 से 1000 स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान करने का निर्णय किया गया है, जिनमें से गुजरात राज्य में इफको, जीएसएफसी और जीएनएफसी द्वारा क्रमशः 18, 20 और 20 सहित कुल 58 महिलाओं को ड्रोन प्रशिक्षण प्रदान कर ड्रोन उपलब्ध कराए गए हैं।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय / दधिबल यादव

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