Uttar Pradesh

हमीरपुर में कोटेश्वर शिवमंदिर में माथा टेकते ही बीमारी होती है छूमंतर

फोटो--29एचएएम- 10 सैकड़ों साल पूर्व पाताल से प्रकट हुआ था शिवलिंग

सैकड़ों साल पूर्व पाताल से प्रकट हुआ था शिवलिंग

मन की अभिलाषा के लिए मंदिर में टेकते है माथा

हमीरपुर, 29 जुलाई (Udaipur Kiran) । हमीरपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित कोटेश्वर धाम शिवमंदिर के गर्भ में सैकड़ों साल पुराना इतिहास छिपा है। इक्कीस सीढ़ियां चढ़ने के बाद ही मंदिर में पाताली शिवलिंग के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि शिवमंदिर की चौखट में कदम रखते ही मौसमी बीमारी से लोगों को निजात मिलती है। सावन मास के दूसरे सोमवार को दर्शन के लिए यहां शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी है।

हमीरपुर शहर से करीब 29 किमी दूर बेतवा नदी किनारे बेरी गांव स्थित है। इस गांव में कभी रियायत रही है। बेरी स्टेट के महाराजा का फरमान कुरारा क्षेत्र के दर्जनों गांवों में चलता था, लेकिन अब इस गांव में सरपंच का राज है। 642 साल पहले यह गांव रियासत थी। गांव के संस्थापक अक्षरजू पंवार थे। वह अठारहवीं सदी के अंत में जालौन जिले में आकर निवास करने लगे थे। इनकी शादी भी महाराज छत्रपाल के बेटे जगतराज की बेटी के साथ हुई थी। इन्हें बारह लाख रुपये की जागीर मिली थी। जो बाद में बेरी की रियासत बनी थी। बेरी राज्य की स्थापना अठारहवीं सदी के बीच में दीवान अचरजू उर्फ अचरज सिंह जागीर ने की थी।

सन् 1909 में बेरी राज्य अंग्रेजी हूकुमत में शामिल हो गया था। बेरी स्टेट के अंतिम शासक राजा यादवेन्द्र जूदेव थे। इनकी पत्नी लक्ष्मी कुमारी जूदेव्या राजमाता थी। राजमाता ने बेतवा नदी किनारे कोटेश्वर शिवधाम मंदिर बनवाया था। इन्होंने पाताली शिवलिंग की प्राण—प्रतिष्ठा भी बड़े ही धूमधाम से कराई थी। आज सावन मास के सोमवार को यहां कोटेश्वर धाम शिवालय में सुबह से शिवभक्तों का तांता लगा है। देर शाम तक यहां मंदिर में घंटे बजते रहेंगे।

मंदिर के पुजारी देवीदयाल व समाजसेवी अभिषेक त्रिपाठी,सत्येन्द्र अग्रवाल ने बताया कि कोटेश्वर धाम मंदिर में शिवलिंग का जल पान करते ही मौसमी बीमारी ठीक हो जाती है। यह स्थान बड़ा ही भव्य है, इसीलिए सावन में दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

बेतवा नदी किनारे स्थित है कोटेश्वर शिवमंदिर, मंदिर में है पाताली शिवलिंग

बेतवा नदी किनारे बसे इस गांव में कोटेश्वर शिवमंदिर स्थित है। जिसकी छटा देखते ही बनती है। मंदिर के महंत देवीदयाल ने बताया कि सैकड़ों साल पहले पाताल से एक शिवलिंग प्रकट हुआ था जिसे देखने के लिए तमाम गांवों के लोगों की भीड़ उमड़ी थी। इस शिवलिंग को विधि विधान से मंदिर में स्थापित कराया गया था। महंत ने बताया कि शिवलिंग बड़ा ही अद्भुत है जिसे कुछ देर तक देखने मात्र से टेंशन और बीपी रोग में भी आराम मिलता है।

रियासत की महारानी ने बनवाया था मंदिर, सीढ़ियां चढ़ते ही मन को मिलती है शांति

बेरी रिसायत की राजमाता लक्ष्मी कुमारी जूदेव्या ने अपने राज में आसपास के कई गांवों में भव्य मंदिरों के निर्माण कराए थे। कोटेश्वर शिवमंदिर के पुजारी देवीदयाल ने बताया कि सन् 1944 में बेरी स्टेट की महारानी राजेन्द्र कुमारी जूदेव भी मंदिर की अलौकिक शक्ति की मुरीद रही है। महारानी ने मंदिर को न सिर्फ भव्य रूप दिया, बल्कि इसे कोटेश्वर धाम के रूप में भी चमकाया। पुजारी ने बताया कि मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते ही मन को बड़ी शांति मिलती है।

(Udaipur Kiran) / पंकज मिश्रा / राजेश

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