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वंशावली लेखकों में बढ़ती दूरियों को कम करने का करना होगा प्रयास: अरूणकांत

वंशावली

जयपुर, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । पाथेय कण के सभागार में अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान का रविवार को स्थापना दिवस मनाया गया है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अखिल भारतीय धर्म जागरण सह प्रमुख अरूणकांत ने कहा कि पुराने काल से ही वंशावली की परम्परा हमारे देश में चली आ रही है लेकिन आज वंशावली लेखकों में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, जिसको हम सब मिलकर कम करने का प्रयास करेंगे।

उन्होंने कहा कि संस्थान के कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर जुड़कर वंशावली को बेहतर करने का काम करना होगा, जिससे कि सभी लोगों को अपने वंश के बारे में विस्तार से जानकारी मिल सके, अभी इस समय पूरे देश में 4200 वंशावली लिखने वाले वंशलेखकों के नामों की वंशावली दिग्दर्शिका संस्थान के पास है, जिसमें राजस्थान से सबसे अधिक 2500 वंशलेखकों का डाटा कलेक्शन है, लेकिन अभी पूरे देश के वंशलेखकों का डाटा संस्थान के पास नहीं है, जिसको एकत्रित करने का काम तेजी से किया जा रहा है, जल्द ही सभी वंशलेखकों का डाटा संस्थान के पास उपलब्ध होगा।

सतयुग व द्वापर युग से चली आ रही है परम्परा: कालीचरण

विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि वंशावली लेखन का काम सतयुग, द्वापरयुग के बाद आज कलयुग में भी हो रहा है और आज इसको डीजिटल माध्यम से जोड़ते हुए प्रभावी बनाये जाने की जरूरत है।

पूर्व सांसद रामचरण बोहरा ने कहा कि आज का युग डिजिटल का है, जिसका उपयोग वंशावलियों को संरक्षित करने के लिए किया जाना चाहिए।

हिन्दू समाज को टूटने से बचाने का प्रयास: ब्रह्मभट्ट

अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष परमेश्वर ब्रह्मभट्ट ने संस्थान के बारे में प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि वंशावली के माध्यम से हिन्दू समाज को टूटने से बचाया जा सकता है और यह काम संस्थान बखुबी निभा रहा है, जिसके माध्यम से लोगों को एक-दूसरे से ओर अपनो से अपने को जोड़ने का काम किया जा रहा है।

समारोह में अतिथियों ने वंशावली लेखन करने वाले सत्यनारायण जागा, नवरंग लाल जागा, महावीर सिंह, रूप सिंह राव सहित युवा वंशावली लेखकों का का सम्मान किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक माणक चन्द और जन कल्याण संस्थान के अध्यक्ष बाबुलाल शर्मा का विशिष्ट सम्मान किया गया। कार्यक्रम में गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के गांधीवादी विचारक एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जनक सिंह मीणा ने अतिथियों को भारत के स्वातन्त्र समर के जनजातीय नायकों की वीरगाथा नामक पुस्तक भेंट की।

(Udaipur Kiran) / राजेश

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