— खेल से समर्पण, अनुशासन, निष्ठा और आत्मविश्वास में वृद्धि: कुलपति प्रो.शर्मा
वाराणसी,27 जुलाई (Udaipur Kiran) । सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित दीक्षान्त लान में शनिवार को संस्कृत के विद्यार्थियों ने पारम्परिक वस्त्र में आचार्यो की देखरेख में गिल्ली-डंडा खेली। भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) की ओर से आयोजित गिल्ली-डंडा प्रतियोगिता में चार टीमों सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, श्री स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री स्वामी नारायणानंद तीर्थ वेद विद्यालय, श्री विश्वेश्वर वेद भवन के छात्रों ने पारम्परिक खेल में मजबूत पकड़ दिखाया। खास बात यह रही कि प्रतियोगिता में कमेन्ट्री संस्कृत में हुई। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य लुप्त हो रहे पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना रहा।
खेल से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परम्परा से जोड़ने में मदद मिलेगी। गिल्ली-डंडा जैसे खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और टीम वर्क के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। प्रतियोगिता में विजेता टीम को पुरस्कार प्रदान कर कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि खेल से समर्पण,अनुशासन,निष्ठा और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों ने न केवल अपने खेल कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि अपनी संस्कृति और परम्परा के प्रति सम्मान और समर्पण भी दिखाया। संस्कृत में कमेंट्री कर अपनी संस्कृति एवं परम्परा का पालन किया। प्रतियोगिता के आयोजन के लिए कुलपति ने भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) की सराहना की। संयोजक भारतीय ज्ञान परम्परा के गणवेश एवं खेल के समन्वयक डॉ ज्ञानेन्द्र साँपकोटा,सह संयोजक डॉ विजय कुमार शर्मा एवं निर्णायक डॉ. दुर्गेश पाठक ने कुलपति का स्वागत किया।
प्रतियोगिता की प्रथम विजेता टीम सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, द्वितीय विजेता टीम श्री स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ को घोषित किया। विश्वविद्यालय टीम के कप्तान संदीप कुमार पांडेय के नेतृत्व में मनीष दीक्षित, विवेक द्विवेदी, रोहित कुमार, संजय दुबे, विमल मिश्रा, कृष्ण मणि त्रिपाठी, अभिनव तिवारी ने दमदार खेल दिखाया। द्वितीय विजेता टीम श्री स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ के सक्षम दुबे (कप्तान) के नेतृत्व में रुद्र पाण्डेय, तेज प्रताप पाण्डेय, शिवांश शुक्ला, अमित मिश्रा, अमन त्रिपाठी, उद्देश्य पाण्डेय, अर्पित द्विवेदी ने भी प्रतिस्पर्धा में अलग छाप छोड़ी।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / मोहित वर्मा