HimachalPradesh

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर सम्मानित किए शहीदों के परिजन

Kargil vijay divas : honour

शिमला, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में राज्य स्तरीय सम्मान समारोह किया गया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ धनी राम शांडिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और कारगिल में शहीद जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

इस कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में शहीद, शौर्य सम्मान से सम्मानित वीर नारी और कारगिल युद्ध का हिस्सा रह चुके सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया।

इन्हें किया गया सम्मानित

कारगिल युद्ध में शहीद ग्रेनेडियर नरेश कुमार की धर्मपत्नी शकुंतला गांव मूल भजी डा0 थैला तहसील सुन्नी जिला शिमला और शौर्य चक्र सम्मानित बलिदानी राइफलमैन कुलभूषण मांटा की धर्म पत्नी नीतू कुमारी गांव गौंठ डा0 मझौली तहसील कुपवी जिला शिमला तथा शहीद लांस नाइक किशोरी लाल की धर्म पत्नी प्रवीण कुमारी को मुख्यातिथि ने सम्मानित किया। इसके साथ ही कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मंत्री धनीराम शांडिल ने कहा कि प्रदेश को वीर भूमि होने का श्रेय प्राप्त करने में हिमाचल के वीर सपूतों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। जब भी देश को आवश्यकता हुई है, यहाँ के वीर जवानों ने अभूतपूर्व सैन्य परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपने साहस और पराक्रम का परिचय दिया है।

उन्होंने कहा कि वेदों में राष्ट्र धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। राष्ट्र धर्म के लिए अपने प्राणों की बलि दे देना पूजनीय है। उन्होंने कहा कि सैनिक अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं रहे हैं। कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। हमें उनके बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति से आज तक हिमाचल प्रदेश के लगभग 1714 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना हमेशा अपने देश की सीमा पर तैनात रहती है और दुश्मन देश की सेना हमेशा घुसपैठ करने की कोशिश में लगी रहती है। ऐसी ही घटना 1999 में हुई, जब पाकिस्तान ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। परन्तु भारतीय सेना ने हजारों फुट की उचाई पर चढ़ाई करके दुश्मन की सेना को खदेड़ा और अपनी जमीन को उनके कब्जे से वापिस लिया। लगभग 3 महीने तक दोनों देशों के बीच घमासान युद्ध हुआ और भारत ने पाकिस्तान पर विजयप्राप्त की। तब से हर साल भारत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस साल हम कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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