रायपुर , 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कैग रिपोर्ट में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में की गई बड़े स्तर की गड़बड़ियों का खुलासा किया गया है। ऑडिट रिपोर्ट 2016 -2022 मार्च को समाप्त वर्ष तक के लिए में बताया गया कि 33 करोड़ रुपये से ज्यादा की दवाएं कालातीत हो गईं हैं। करीब 50 करोड़ के मेडिकल उपकरण अनुपयोगी पड़े रहे।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट परफार्मेंस रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि 24 करोड़ की दवाएं ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से खरीद गई। कोविड के दौरान बिना अनुशंसा 23 करोड़ रुपये की दवाएं खरीद गई,838 स्वास्थ्य संस्थानों के पास अपना भवन नहीं, 42 सीएचसी में ब्लड बैंक नहीं है ।अस्पतालों में मशीनों का परीक्षण किए बिना उपकरण खरीदे गए। 50 करोड़ के उपकरण बेकार पड़े हैं।सीजीएमएससी ने ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से करीब 24 करोड़ की दवाएं खरीद लीं।
मार्च 2022 को समाप्त वर्ष तक के लिए तैयार ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि जिन कंपनियों ने घटिया दवा की सप्लाई की, उनसे क्वालिटी वाली दवा लेना तो दूर ना तो जुर्माना लगाया और ना ही डैमेज शुल्क लिया गया। कोविड काल में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए, लिक्विड टैंक खरीदे गए, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हुआ।छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) द्वारा के सॉफ्टवेयर में इंटीग्रेशन नहीं होने के कारण दवा और उपकरण खरीद के लिए पेमेंट की ओवरलैपिंग भी हुई।
कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत पदों की तुलना में अधिकारी-कर्मचारियों की भर्ती में बहुत बड़ा अंतर है। रिपोर्ट के मुताबिक, 23 जिला अस्पतालों में 33 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी है।पैरामेडिकल स्टाफ 13 प्रतिशत तक कम हैं। सीएचसी की हालत और खराब हैं।यहां 72 प्रतिशत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी हैं, 32 प्रतिशत नर्स और 36 प्रतिशत पैरामेडिकल स्टाफ की कमी हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के कई सरकारी मेडकिल कॉलेजों में एक भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं हैं, जिसके चलते आठ-आठ साल से वो विभाग भी शुरू नहीं हो पाया है। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में कैंसर यूनिट नहीं शुरू हो सकी है । इसी तरह राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने के चलते हृदयरोग विज्ञान, वृक्क और तंत्रिका विज्ञान विभाग का ओपीडी नहीं शुरू हो सका।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 से 2022 के बीच, सीजीएमएससी ने 3753 करोड़ रुपये की दवा, उपकरण और अन्य समान की खरीद में भारी अनियमितताएं की गई हैं। मेडिकल सामानों की सेंट्रल एजेंसी होने के बावजूद, 27 से 56 फीसदी खरीदी लोकल पर्जेच के माध्यम से करनी पड़ी, क्योंकि जरूरत के अनुसार क्रय नियमावली तैयार नहीं की जा सकी। 278 निविदाएं सीजीएमएससी की ओर से निकाली गई, लेकिन इनमें से 165 टेंडर दो-दो साल तक फाइनल नहीं किए जा सके। इससे वक्त पर सप्लाई नहीं हुआ, और महंगे दाम पर लोकल पर्चेज करना पड़ा।
(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा / चन्द्र नारायण शुक्ल