श्री राम सापेक्ष राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य का अवदान’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
-कुलपति प्रो0 शिशिर कुमार पांडेय ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ
चित्रकूट,25 जुलाई (Udaipur Kiran) । जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट के अष्टावक्र सभागार में स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में ’श्री राम सापेक्ष राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य जी का अवदान’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ के सहयोग से किया गया। इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र का प्रारंभ संगीत विभाग की सहायक आचार्य डॉ ज्योति विश्वकर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ।
इस अवसर पर उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व राज्य मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय एवं पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र , विश्वविद्यालय की कुलाधिपति के निजी सचिव रमापति मिश्रा तथा कुलसचिव मधुरेंद्र कुमार पर्वत भी उपस्थित थे।अतिथियों के स्वागत के पश्चात स्वागत उद्बोधन हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ किरण त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय ने श्री राम सापेक्ष राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य जी की कृतियां एवं उनके वाचिक परंपरा तथा लेखन परंपरा में उत्कृष्ट योगदान को व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान युग के प्रख्यात मनीषी के रूप में राष्ट्र निर्माण में श्री रामचन्द्रजी के जीवन मूल्यों के संदर्भ मेंश्री रामभद्राचार्य जी का अभिनव योगदान है ।उनके द्वारा बताए गए श्री राम चंद्र जी के जीवन मूल्यों से ओतप्रोत विचार आज के समय में न केवल प्रासंगिक हैं बल्कि नए भारत के निर्माण में अनूठी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की डॉ अमिता दुबे ने हिंदी संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिंदी संस्थान न केवल हिंदी भाषा बल्कि अन्य भाषाओं को साथ लेकर भारतीय संस्कृति के संवाहक के रूप में कार्य कर रही है। इस संस्थान के द्वारा पुरस्कारों के अतिरिक्त विभिन्न भाषाओं की उन्नति के लिए भी सतत रूप से प्रयास किए जाते हैं। विषय का विस्तृत परिचय देते हुए अधिष्ठाता डॉ महेंद्र कुमार उपाध्याय ने राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य जी के योगदान को विस्तार से वर्णित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ प्रमिला मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन संगीत विभाग के ्सहायक आचार्य डॉ गोपाल कुमार मिश्र के द्वारा किया गया।
इसके पश्चात संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र का प्रारंभ डॉ सभापति मिश्र की अध्यक्षता में किया गया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ तरुण कुमार मिश्र तथा डॉ सत्या सिंह उपस्थित रहीं। इस तकनीकी सत्र में डॉ किरण त्रिपाठी, डॉ विश्वेश दुबे ,डॉ राम बहादुर मिश्र, डॉ संजय कुमार मिश्र डॉ रजनीश कुमार सिंह ने अपने शोध परक आलेखों को प्रस्तुत किया। इस सत्र का संचालन शिक्षा संकाय की सहायक आचार्य डॉक्टर रीना पांडेय ने किया। इस अवसर पर अधिष्ठाता डॉ निहाल रंजन मिश्र, डॉ गुलाब धर, डॉ विनोद कुमार मिश्र,डॉ अमित अग्निहोत्री सहित विश्वविद्यालय परिवार के समस्त सदस्य उपस्थित रहे। स्थापना दिवस के अवसर पर दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी भव्य आयोजन किया गया है। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान लखनऊ तथा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ के सहयोग से भिन्न-भिन्न गीत संगीत के कार्यक्रमों का मंचन भी किया गया। जिसमें प्रथम दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय रामायण में वैदिक शोध संस्थान लखनऊ की ओर से प्रस्तुत प्रस्तुतियों में मिर्जापुर से आई पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव जी का कजरी गायन श्रोताओं को श्रावण मास के भाव में भाव विभोर कर दिया तत्पश्चात बांदा के प्रसिद्ध दिवारी नृत्य के कलाकार श्री कृष्ण पाल द्वारा दिवारी नृत्य की संगीतमय प्रस्तुति की गई जिससे वातावरण सांस्कृतिक हो गया। यह जानकारी पीआरओ सुधीर कुमार ने दी।
(Udaipur Kiran) / रतन पटेल / बृजनंदन यादव