Uttrakhand

डॉ. जैक्स वीन नेशनल स्कूल में मनाया गया संस्कृति दिवस

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निर्देशन में मनाया जा रहा है शिक्षा सप्ताह

गुप्तकाशी, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुप्तकाशी के डॉ. जैक्स वीन नेशनल स्कूल में शिक्षा सप्ताह 2024 के अंतर्गत प्रत्येक दिन विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में शिक्षा सप्ताह के चौथे दिन गुरुवार को संस्कृति दिवस के रूप में मनाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के प्रसिद्ध रंगकर्मी जॉन लक, विशिष्ट अतिथि के रूप में बब्बर सिंह चौहान ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

नर्सरी से कक्षा बारहवीं तक के बच्चों द्वारा भारत की सांस्कृतिक विभिन्नताओं, पर्यावरण विषयों, देशभर के विभिन्न राज्यों की संस्कृति, भोज्य पदार्थों, पहनावों, भाषा, नृत्य एवं रीतिरिवाजों आदि की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में कक्षा आठ के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत मंगल गीत, कक्षा दस के विद्यार्थियों द्वारा जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा, नागालैंड, गुजरात, पंजाब, हिमाचल, असम, उत्तराखंड आदि प्रदेशों की पोशाक व भाषा व खानपान की प्रदर्शनी, गीत एवं गढ़वाली लोक नृत्य मुख्य आकर्षण का विषय रहे।

इस अवसर पर फ्रांसीसी रंगकर्मी मुख्य अतिथि जॉन लक ने कहा कि भारत और उत्तराखंड की विविधता एवं महानता से भरी संस्कृति व परंपरा को देखकर अत्यंत हर्ष हुआ। उन्होंने फ्रांसीसी भाषा में गीत भी प्रस्तुत किया और कहा कि अब यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय संस्कृति दिवस हो गया है।

इससे पूर्व प्रथम दिवस के कार्यक्रम में शिक्षकों को कक्षा में पढ़ाने के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री के उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के कार्यक्रम आयोजित हुए। शिक्षा सप्ताह के पहले दिन शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा टीचिंग लर्निंग मटीरियल के माध्यम से छात्राओं को पढ़ाया गया। इसके अंतर्गत अलग-अलग विषयों में निर्धारित विषय वस्तु को आसानी से सुग्राही बनाने के लिए अध्यापकों ने मॉडल, चार्ट आदि की सहायता से अध्यापन कार्य किया।

शिक्षण सप्ताह के द्वितीय दिवस प्री-प्राइमरी कक्षाओं से कक्षा तीसरी तक की कक्षाओं में गणित, हिंदी, अंग्रेजी आदि विषयों में प्रारंभिक स्तरीय ज्ञान बढ़ाने के लिए अनेकों प्रकार की गतिविधियों एवं टीएमएल का प्रयोग कर अध्यापन कार्य को किया गया, जिससे विद्यार्थी में इन विषयों के प्रति रुचि बढ़ सके। साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कक्षा तीन तक के छात्र छात्राओं को गणित एवं भाषाओं का प्रारंभिक ज्ञान पूर्णतया हो जाये।

शिक्षण सप्ताह के तृतीय दिवस अनेकों स्थानीय एवं उन खेलों को बच्चों को सिखाया गया जो कि आज प्रचलन में नहीं है। इन खेलों में कक्षा एक द्वारा पोसमपा, कक्षा दाे द्वारा बाघ बकरी, कक्षा तीन द्वारा धूप छांव खेल, कक्षा चार द्वारा हूप रोलिंग, कक्षा पाँच द्वारा पिट्ठू, कक्षा छः द्वारा रस्सी कूद, कक्षा सात द्वारा राजा मंत्री चोर सिपाही, कक्षा आठ द्वारा कंचो का खेल, कक्षा नौ द्वारा बट्टी का खेल, कक्षा दस द्वारा लंगडी, कक्षा ग्यारह द्वारा मरहमपट्टी एवं कक्षा बारह के छात्र-छात्राओं द्वारा गिल्ली डंडा खेल खेला गया।

नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षाओं द्वारा कुर्सी दौड़ में प्रतिभाग कर अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में अपने बचपन के खेलों को याद करते हुए शिक्षकों द्वारा भी सभी खेलों में प्रतिभाग किया गया। जहां शिक्षिकाओं द्वारा रस्सीकूद में अधिक प्रतिभाग किया गया। वहीं शिक्षकों द्वारा कंचे, पिट्टू गिल्ली डंडा, लंगड़ी आदि खेलों में बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया गया।

इस अवसर पर विद्यालय के चेयरमैन लखपत सिंह राणा ने बताया कि बोर्ड द्वारा निर्धारित शिक्षा सप्ताह के आयोजन में ये पारंपरिक एवं स्थानीय खेलों, विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बच्चों को सिखाया जाना अत्यंत प्रभावशाली है। वहीं पारंपरिक खेलों को खेलने से वीडियो गेम की महामारी से दूर रखा जा सकता है।

(Udaipur Kiran) / बिपिन / सत्यवान / वीरेन्द्र सिंह

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