HEADLINES

भलस्वा से सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कालोनी में चार हफ्ते के अंदर शिफ्ट करने का आदेश

हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने भलस्वा से सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कालोनी में चार हफ्ते के अंदर शिफ्ट करने का आदेश दिया। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली नगर निगम, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, दिल्ली सरकार और केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में तेजी से कदम उठाएं।

हाई कोर्ट ने कहा कि इन कालोनियों में डेयरी प्लाट के आवंटियों ने प्लाट का इस्तेमाल व्यावसायिक और आवासीय उपयोग के लिए करना शुरू कर दिया है। ऐसा बिना किसी कानूनी अनुमति के किया गया है। इन प्लाट पर हुए निर्माण बिना अनुमति के किए गए हैं। हाई कोर्ट ने 5 दिसंबर, 1976 को डेयरियों के लिए डीडीए की ओर से प्लाट के आवंटन की शर्तों पर गौर करते हुए पाया कि ये प्लाट केवल जानवरों के शेड के इस्तेमाल के लिए आवंटित की गई थीं। आवंटन की शर्तों में ये साफ कहा गया था कि इन प्लाट को आवासीय इकाई नहीं बनाया जाएगा।

हाई कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार भलस्वा और गाजीपुर डेयरियों के दुधारू पशुओं को पास के लैंडफिल साइट से कूड़ा खाने से रोकने में नाकाम रही हैं। सुनवाई के दौरान केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भलस्वा डेयरी को शिफ्ट करने के लिए 30 एकड़ भूमि की जरूरत है, जबकि घोघा डेयरी कालोनी में करीब 83 एकड़ भूमि बेकार पड़ी हुई है।

इससे पहले 3 मई को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि गाजीपुर और भलस्वा डेयरी को बड़े लैंडफिल साइट पर शिफ्ट करने की जरूरत है। इन लैंडफिल साइट पर पशु खतरनाक कचरा खा लेते हैं। इन पशुओं का दूध अगर कोई पी ले तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। कोर्ट ने साफ किया कि लैंडफिल साइट के पास बने डेयरियों के पशु निश्चित तौर पर खतरनाक कचरा खाएंगे और वे आम लोगों खासकर बच्चों के लिए नुकसानदेह साबित होंगे। इसलिए इन डेयरियों के शिफ्ट कराने की जरूरत है।

यह याचिका सुनयना सिब्बल, अशर जेसुदौस और अक्षिता कुकरेजा ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि लैंडफिल साइट के पास बनी डेयरियां कानून का खुला उल्लंघन कर रही हैं। इन डेयरियों में पशुओं के साथ क्रूरता बरती जाती है और जानवरों की अधिकता इतनी ज्यादा है कि कई बार जानवरी मल पर ही लेटी रहती हैं। इससे मच्छर पैदा होते हैं। याचिका में कहा गया है कि इसके पहले हाई कोर्ट ने इन डेयरियों को दिल्ली के नगर निगम के इलाकों से बाहर शिफ्ट करने का आदेश दिया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर गौरी पुरी ने कोर्ट को बताया था कि इन डेयरियों में पशुओं को ऑक्सीटोसिन की खुराक धड़ल्ले से दी जाती है, ताकि दूध ज्यादा निकाला जा सके।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम / पवन कुमार श्रीवास्तव

Most Popular

To Top