कोलकाता, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर के दाड़ीविट हाई स्कूल में दो छात्रों की मौत के मामले में मुआवजे के निर्देश पर बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्थगनादेश जारी किया। मृत छात्रों के परिवारों ने 20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी, जबकि सिंगल बेंच ने मुआवजे की कोई निश्चित राशि नहीं बताई थी। 2018 के सितंबर में दाड़ीविट हाई स्कूल में शिक्षक नियुक्ति को लेकर हिंसक संघर्ष हुआ था, जिसमें राजेश सरकार और तापस बर्मन नामक दो पूर्व छात्रों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से दाड़ीविट स्कूल लगभग दो महीने तक बंद रहा।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने पहले एनआईए को इस मामले की जांच करने और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था। हालांकि, सिंगल बेंच ने मुआवजे की कोई राशि निर्दिष्ट नहीं की थी। पुलिस द्वारा एनआईए को जांच न सौंपने के आरोप में अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया गया था। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरन्मय भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि सभी संबंधित जानकारी एनआईए को सौंप दी गई है और मृत छात्रों के परिवारों को दो लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा।
परिवारों ने इस मुआवजे की राशि पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दो युवकों के जीवन के नुकसान के लिए दो लाख रुपये पर्याप्त नहीं हैं और 20 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘विक्टिम कम्पनसेशन स्कीम’ के अनुसार पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपये मुआवजा मिलना चाहिए। इसके बावजूद, दोनों परिवारों ने 20 लाख रुपये क्यों मांगे हैं, यह अदालत में स्पष्ट करने को कहा गया है।
अदालत ने सिंगल बेंच के मुआवजे के आदेश पर स्थगनादेश जारी करते हुए कहा कि अगली सुनवाई नवंबर में होगी। दाड़ीविट मामले ने राज्य की राजनीति को हिला दिया था और इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। पुलिस पर गोली चलाने का आरोप लगने के बाद मामले की जांच पहले सीआईडी को सौंपी गई थी, लेकिन पिछले साल मई में न्यायमूर्ति मंथा ने एनआईए जांच के आदेश दिए थे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर / गंगा