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भारतीय किसान संघ ने किया बजट का स्वागत, कहा- किसान हितैषी तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला बजट

मोहिनी मोहन मिश्र

नई दिल्ली, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) ।

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने केंद्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारतीय किसान संघ कृषि व किसान हितैषी तथा इनसे जुड़े क्षेत्रों के हित संवर्धन वाले इस बजट का स्वागत करता है। सरकार ने बजट में अनाज की अधिक उत्पादकता व प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता दी है। जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से कृषि क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन के लिये अनुसंधान व शोध के लिये सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। साथ ही जलवायु के अनुसार कृषि क्षेत्र के लिये 32 व बागवानी फसलों की अधिक उपज वाली देने वाली नई 109 किस्में किसानों को देने की बात कही है, जो अच्छा कदम है। वहीं किसान संघ ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि अधिक उत्पादन के नाम पर यदि जीएम फसलों को अनुमति दी जाएगी तो किसान संघ इसका विरोध करेगा।

भारतीय किसान संघ का कहना है कि यह अच्छी बात है कि बजट में अनुसंधान व शोध कार्यों के लिये निजी क्षेत्र की बजाय आईसीएआर को अधिक बजट राशि देने की बात कही गई है। वहीं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने एक करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण व ब्रांडिंग में मदद कर प्रोत्साहन देने की बात बजट में की है। जिसके लिये बजट में दस हजार जैव इनपुट संसाधन केंद्र खोलने का प्रावधान किया है, जो सराहनीय है और जहरमुक्त खेती की दिशा में सरकार का सार्थक कदम है।

सब्जी उत्पादक किसानों के लिये क्लस्टर बनाकर तथा दलहन व तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिये उसके उत्पादन, भंडारण व विपणन में विशेष अभियान के तहत रणनीति बनाने के प्रावधान बजट में शामिल किये गए हैं, इससे लघु व सीमांत किसानों को लाभ मिलेगा। पांच राज्यों में जन समर्थन आधारित किसान क्रेडिट कार्ड बनाने, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से देश के 400 जिलों में खरीफ फसलों का सर्वेक्षण किया जाना, यह भी स्वागत योग्य कदम है।

भारतीय किसान संघ का कहना है कि बजट में सरकार ने कृषि क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र के विकास व जनजातीय उन्नयन ग्राम योजना की घोषणा की है, जिससे सुदूर क्षेत्रों में निवासरत बड़ी संख्या में आदिवासी परिवारों को लाभ मिलेगा। भारतीय किसान संघ ने कहा कि बजट स्वागत योग्य है, लेकिन जीएम जैसी विफल अवैज्ञानिक, खतरनाक तकनीकी को अधिक उपज देने वाली व जलवायु के अनुकूल होने के झूठे दावे के आधार पर पिछले दरवाजे से प्रवेश न दिया जाए, योजनाएं बनाते समय यह ध्यान रखा जाए।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / जितेन्द्र तिवारी / प्रभात मिश्रा

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