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सड़कों पर फेंके रहते हैं बायोमेडिकल वेस्ट, नहीं होता है डिस्पोजल : झारखंड हाई कोर्ट

jharkhnad high court

रांची, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । झारखंड हाई कोर्ट में राज्य में नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर झारखंड ह्यूमन राइट कॉन्फेडरेशन की जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार काे हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डायरेक्टर इन चीफ, हेल्थ डिपार्मेंट के शपथ पत्र पर असंतोष जताया।

कोर्ट ने मौखिक कहा कि डायरेक्टर इन चीफ, हेल्थ ने दावा किया है कि झारखंड के 1633 प्राइवेट और पब्लिक नर्सिंग होम से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन कर दिया जाता है। बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के साथ इन सभी 1633 नर्सिंग होम का करार है, जिससे उनके मेडिकल वेस्ट का प्रतिदिन उठाव किया जाता है। कोर्ट ने उनके इस जवाब पर आश्चर्य जताते हुए मौखिक कहा कि झारखंड में नर्सिंग होम के निकट सड़कों पर मेडिकल वेस्ट फेंके रहते हैं, बायोमेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल नहीं होता है। रिम्स जैसे संस्थान में भी मेडिकल वेस्ट अस्पताल के कॉरिडोर में फेंके रहते हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि प्राइवेट एवं पब्लिक नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को कंट्रोल करने के लिए क्या कोई मेकैनिज्म है। क्या जिलों के सिविल सर्जन द्वारा अस्पतालों एवं नर्सिंग होम के मेडिकल वेस्ट का निष्पादन हो रहा है या नहीं, इसका निरीक्षण समय-समय पर किया जाता है? सुनवाई के दौरान लोहरदगा में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लान संचालित करने वाले हस्तक्षेपकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर लिया है लेकिन कोई नर्सिंग होम मेडिकल वेस्ट उठाव के लिए उनसे संपर्क नहीं करता है। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई में उन्हें डायरेक्टर इन चीफ, हेल्थ द्वारा मेडिकल वेस्ट उठाव के लिए नर्सिंग होम के साथ किए गए करार के संबंध में दिए गए चार्ट के आलोक में कितने नर्सिंग होम ने उनके साथ टाइप किया है इसकी जानकारी देने को कहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मामले में डायरेक्टर इन चीफ, हेल्थ डिपार्मेंट को शपथ पत्र दाखिल कर यह बताने को कहा था कि झारखंड में संचालित कितने नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल निबंधित है, इनमें कितने नर्सिंग होम अपने बायो मेडिकल कचरे के निष्पादन को लेकर बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े हैं। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में अभी पांच जगहों लोहरदगा रामगढ़ पाकुड़ धनबाद एवं आदित्यपुर में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं जबकि देवघर में अभी बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए अनुमति देना था, जिसे उसने दे दिया है।

याचिकाकर्ता ने याचिका में झारखंड में एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का आग्रह किया है। कहा गया है कि राज्य में अस्पतालों क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि जगहों से बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन के लिए एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बायो वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल का प्रावधान झारखंड में लागू होना चाहिए।

(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना / चन्द्र प्रकाश सिंह

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