इविवि संघटक महाविद्यालयों के अर्थशास्त्रियों ने बजट की पूर्व संध्या पर की संगोष्ठी
प्रयागराज, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । अर्थशास्त्र विभाग, यूइंग क्रिश्चियन महाविद्यालय की ओर से बजट 2024-25 की पूर्व संध्या पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघटक महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षकों ने भाग लिया। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट पर हुई चर्चा में अर्थशास्त्रियों के मध्य रोजगार सृजन, आयकर के भार में कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र जैसे विषय छाये रहे।
संगोष्ठी में ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के डॉ हर्षमणि सिंह ने कहा कि पूंजीगत व्यय तो सरकार ने बढ़ाया है, परंतु आवश्यकता है निजी व्यय बढ़ाने के प्रयास करने की। उन्होंने कहा कि युवा, गरीब, महिला और किसान पर बजट का फोकस होना जरुरी है। देश में उद्यमिता में वृद्धि हो और युवाओं की ऊर्जा का सही इस्तेमाल हो सके। डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने कहा कि बजट में बुनियादी शिक्षा के साथ तकनीकी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार, रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्र की मांग को बढ़ाने पर बजट में बल दिया जाना चाहिए। जब तक निजी क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार सृजन नहीं होता है, सरकार को सरकारी क्षेत्र में रोजगार सृजित करना चाहिए।
आर्य कन्या महाविद्यालय के डॉ अमित पांडेय ने कृषि क्षेत्र में उपस्थित नीतिगत अंतराल, शहरीकरण व प्रवास पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने को कहा। एस.एस खन्ना के महाविद्यालय के डॉ. सुगंध चौधरी ने कहा कि विडम्बना यह है कि रोजगार के लिए उपयुक्त कौशलयुक्त लोगों का अभाव है। बाजार के अनुरूप युवाओं में कौशल पैदा करने के विशेष उपाय होने आवश्यक हैं। डॉ. चौधरी ने कृषि क्षेत्र में पैदा हो रहे काले धन को रोकने, बचत के सट्टात्मक कार्यों में लगने की प्रवृत्ति को रोकने और समय जमाओं पर ब्याज दरों को बढ़ाने का भी सुझाव दिया। आर्य कन्या की डॉ दामिनी श्रीवास्तव ने उच्च शिक्षा में महिलाओं के नामांकन तथा विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने से सम्बंधित नीतियों पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने की बात की, पीएलआई स्कीम में उन क्षेत्रों पर फोकस करना होगा जो श्रम प्रधान हों।
जगत तारन महविद्यालय की डॉ शिखा दीक्षित ने कहा कि बजट में मध्य आय वर्ग को राहत देने, उनके संघर्ष को कम करने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए। साथ ही महिलाओं के विकास के लिए भी ठोस नीतियों की आवश्यकता है। डॉ रीना यादव ने कहा कि हमारे देश में जनांकिकीय संक्रमण की अवस्था है। श्रम आधिक्य को उत्पादक रोजगार देकर डेमोग्राफिक डिविडेंड में बदलने पर जोर होना चाहिए। डॉ प्रीति राय ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अनुसंधान पर व्यय बढ़ाने की आवश्यकता है।
इलाहबाद डिग्री कालेज की डॉ नंदिता श्रीवास्तव ने कहा कि आय कर के बोझ को कम करना चाहिए, जिससे मुद्रा लोगों के हाथों में आए और मांग व बाजार का विस्तार हो सके। बजट में लघु और कुटीर उद्योंगो के विकास पर भी विशेष ध्यान देने की जरुरत है। सीएमपी महाविद्यालय के डॉ रविंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सरकार की नीतियों और योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पंहुचे, इसका ध्यान देना आवश्यक है। नीतियों का सही ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित होना चाहिए।
ईसीसी के डॉ विवेक कुमार निगम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के विकास में गैर आर्थिक कारक भी जिम्मेदार हैं। लोगों की इच्छाओं और क्षमताओं के बीच के अंतर को भरने में सरकार व समाज को दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता पड़ेगी। सरकार अपने सीमित संसाधनों से सभी वर्ग की इच्छाओं और जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि आयकर की दरों को और तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है। आयकर की न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर कम से कम 7 लाख रु तक करना चाहिए और 30 लाख या उससे ऊपर की आय पर ही 25 प्रतिशत का कर लगाया जाना चाहिए। इससे अर्थव्यवस्था में उपभोग और आय तथा समग्र कर संग्रहण में वृद्धि होगी। मानक कटौती बढ़ाने के साथ ही बचतों को बढ़ाने के लिए 80सी की सीमा बढाकर 2.5 से 3 लाख और 80सी की सीमा भी बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र और सहायक गतिविधियों, एमएसएमई में रोजगार सृजन के साथ ही विनिर्माण क्षेत्र में भी श्रम प्रधान उद्योगों पर अधिक फोकस करना आवश्यक है।
कार्यक्रम में हिन्दी विभाग की ओर से डॉ सुदीप तिर्की ने एआई के आगमन के बाद बेरोजगारी बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके लिए उपाय करने की बात कही। डॉ पद्मभूषण प्रताप सिंह ने स्वास्थ्य सुविधाओं एवं गरीबों के इलाज पर व्यय बढ़ाए जाने की बात कही। डॉ गजराज पटेल ने किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि को बढाकर उनसे सम्बंधित अन्य योजनाओं को समाप्त करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ उमेश प्रताप सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ विवेक कुमार निगम ने किया।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र / राजेश