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गिरफ्तार राजनेता वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये नहीं कर सकेंगे चुनाव प्रचार, याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार राजनेताओं को चुनाव के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने की मांग खारिज कर दी है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में कोई भी दखल देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये याचिका केवल एक राजनेता के लिए दायर की गई, जिसके लिए करीब-करीब रोजाना बेहतरीन वकील इस कोर्ट में आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि इस याचिका पर सुनवाई की जरूरत है, जो जनहित याचिका के रूप में दायर की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 1 मई को यह याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा था कि ऐसे तो दाऊद इब्राहिम भी चुनाव प्रचार करने लगेगा।

यह याचिका लॉ के फाइनल ईयर के छात्र अमरजीत गुप्ता ने दायर की थी, इसलिए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा था कि याचिकाकर्ता लॉ का छात्र है और उन्हें आप शक्तियों के विभाजन के बारे में बताएं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील मोहम्मद इमरान अहमद ने कहा था कि निर्वाचन आयोग को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं कि वो गिरफ्तार नेताओं को लोकसभा चुनाव में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चुनाव प्रचार करने की अनुमति दे। याचिका में मांग की गई थी कि अगर कोई नेता या उम्मीदवार गिरफ्तार किया जाता है तो तुरंत उसकी सूचना निर्वाचन आयोग को दी जाए।

याचिकाकर्ता ने नेताओं की गिरफ्तारी के समय पर भी सवाल उठाते हुए याचिका में कहा था कि निर्वाचन आयोग की ओर से आदर्श आचार संहिता की घोषणा होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया। याचिका में कहा गया था कि आम जनता को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संबंधित राजनेता का पक्ष जानने का अधिकार है। याचिका में कहा गया था कि देश और खासकर दिल्ली के मतदाताओं को ये हक है कि वो राष्ट्रीय पार्टी के नेता की ओर से उसकी विचारधारा और लक्ष्य की जानकारी हासिल करे। याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक दलों के नेताओं को चुनाव के दौरान अपना प्रचार करने के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में विभिन्न प्राधिकार को प्रतिवेदन दिया था लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया गया।

(Udaipur Kiran) /संजय

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम / दधिबल यादव

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