हरिद्वार, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवम महाराज ने कहा कि देवों के देव कैलाशवासी महादेव भगवान शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति देव हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर भगवान शिव मनवांछित फल प्रदान करते हैं।
भूपतवाला स्थित श्री चेतन ज्योति आश्रम में श्रावण मास के पहले सोमवार को भगवान शिव की आराधना के दौरान भगवान शिव की महिमा का वर्णन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रावण मास भगवान शिव की आराधना को समर्पित है। अपनी शरण में आने वाले हर दीन दुखी का दीनानाथ कल्याण करते हैं। इसलिए श्रावण पर्यंत सभी को श्रद्धापूर्वक भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान शिव सभी को समान दृष्टि से देखते हैं इसलिए उन्हें महादेव भी कहते हैं। भगवान शिव का स्वरूप अत्यंत सौम्य एवं कल्याण कारक है। भगवान शिव की आराधना व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है जिससे उसका जीवन सुख, संपदा, धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। महंत शिवम् महाराज ने कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। इसलिए इस दौरान उनकी आराधना का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। भगवान शिव की कृपा से भक्तों को सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। श्रद्धा पूर्वक की गई उपासना कभी निष्फल नहीं जाती।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / वीरेन्द्र सिंह