फिरोजाबाद, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । सुहागनगरी के नाम से पहचाने जाने वाले फिरोजाबाद जिले में एक शिव मंदिर ऐसा भी है जो महाभारत काल से पहले का है। इसकी नींव भीष्म पितामह के पिता महाराजा शांतुन ने रखी थी। इस शिव मंदिर पर भक्तों ने कई बार अनेकों चमत्कार भी देखे है। यही वजह है कि इस मंदिर पर श्रावण मास में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन पूजन को आते हैं।
शहर से लगभग सात किलो मीटर दूर गांव सांती स्थित सांतेश्वर नाथ महादेव मंदिर का विशेष महात्म है। मंदिर के महंत रमेश गोस्वामी बताते है कि हमारे पूर्वजों ने हमें बताया कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत के समय से पहले किया गया। महाराज शांतनु भगवान शिव की आराधना करते थे। उनके समय में एक सांप प्रतिदिन एक ही स्थान पर आकर बैठता था। खुदाई की गई तो यहां शिवलिंग निकली। जिसकी स्थापना करा दी गई। शिवलिंग की गहराई जानने के लिए कई बार खुदाई हो चुकी है लेकिन आज तक यह पता नहीं लग सका कि शिवलिंग जमीन के अंदर कितनी गहराई तक है।
महंत रमेश ने बताया कि भीष्म पितामह की निकासी इसी जगह से है। महाभारत के युुद्ध के बाद फिर कोई यहां नहीं आया। आज भी इस मंदिर को भीष्म पितामह के नाम से लोग जानते हैं। मंदिर के पास ही एक किला है, जो अब खंडहर हो चुका है। महंत ने बताया कि इस मंदिर में कई चमत्कार होते रहे हैं। एक गाय यहां आकर खड़ी होती थी और उसका दूध अपने आप निकलता था। एक सांप जो मंदिर के आस-पास ही रहता था। कई बार भगवान शिव की पिंडी से लिपटे हुए लोगों ने दर्शन किए हैं।
मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी भक्त श्रद्धालु सच्चे मन से आते हैं, उन्हें अपनी सभी मनोकामना की पूर्ति करने में वक्त नहीं लगता है। श्रावण मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु कांवड़ लेकर भी यहां आते है। बाबा को जलाभिषेक कर अपनी कामना को भगवान शिव को बताकर जाते है। फिर अगले वर्ष एक बार पुन: जलाभिषेक करने आते है।
(Udaipur Kiran) / कौशल राठौड़ / शरद चंद्र बाजपेयी / मोहित वर्मा