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भट समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Allahabad High court

प्रयागराज, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से भट समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य अखिल भारतीय भट समाज एकता और उसके अध्यक्ष पवनेंद्र कुमार की जनहित याचिका पर दिया है।

जनहित याचिका में कहा गया है कि भट समुदाय को डी नोटिफाइड जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में भट समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य के कुछ जिलों में बसी विमुक्त जनजाति के भट समुदाय को एक मई 1961 के शासनादेश द्वारा विशेष दर्जा दिया गया था। यह दर्ज शिक्षा, शैक्षणिक और सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रयोजनों के लिए था।

भारत के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के लिए विमुक्त जनजातियों को अनुसूचित जनजाति माना जाना चाहिए। याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में व्यवस्थित जीवन जीने और राज्य की सामाजिक कल्याण योजनाओं से लाभान्वित होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नहीं दिया गया है, जिसके वे हकदार हैं।

जनहित याचिका में आगे कहा गया है कि जून 2013 में राज्य सरकार ने सभी डीएम और कमिश्नर को एक आदेश जारी किया, जिसमें जाति प्रमाण पत्र के लिए पात्र विमुक्त जनजातियों को विमुक्त जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन भट समुदाय को अनुसूचित जनजाति के उपरोक्त लाभों से वंचित किया गया है जो भेदभाव और कानून का उल्लंघन है।

(Udaipur Kiran) /आर.एन

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / आकाश कुमार राय

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