रायपुर, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की उपस्थिति में बलौदाबाजार की घटना की जांच के लिये बनाई गई समिति के प्रमुख डॉ. शिवकुमार डहरिया ने अपनी जांच रिपोर्ट रविवार काे मीडिया के समक्ष सार्वजनिक किया।
उन्हाेंने बताया कि 15 मई 2024 की दरम्यानी रात गिरौदपुरी के महकोनी गांव के जैतखाम को किसी अज्ञात लोगों ने आरी से काटकर गिरा दिया था। 17 मई को सतनामी समाज द्वारा उक्त घटना के खिलाफ गिरौदपुरी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया गया। पुलिस प्रशासन ने बिहार प्रांत के तीन लोगों को आनन-फानन में घटना का दोषी मानकर पकड़ लिया और पुलिस द्वारा यह बताया गया कि एक ठेकेदार के अंदर यह काम करने वाले मजदूर थे, जिन्हें मजदूरी नहीं मिलने पर गुस्से में जैतखाम को काटा गया। सतनामी समाज पुलिस की उक्त कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए और समाज के द्वारा यह कहा गया कि ठेकेदार द्वारा भुगतान नहीं किये जाने से जैतखाम तोड़े जाने का क्या संबंध ? सतनामी समाज द्वारा घटना की सीबीआई जांच एवं वास्तविक अपराधियों को पकड़ने के लिए गिरौदपुरी में बड़ी बैठक की जिसमें हजारों की संख्या में सतनामी समाज के लोग शामिल हुए।
सरकार और प्रशासन द्वारा समुचित संज्ञान न लिये जाने पर 07 जून को प्रशासन को 10 जून को बलौदाबाजार में आंदोलन करने का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में समाज के पदाधिकारियों के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष सनम जांगड़े भी शामिल थे। 10 जून के आंदोलन के लिए सोशल मीडिया में भीम आर्मी व अन्य संगठनों के द्वारा भारी संख्या में सामाजिक लोगों को शामिल होने की अपील प्रसारित करते रहे। सभा में महाराष्ट्र व अन्य प्रांतों के लोग भी वाहनों में आये और कुछ लोग एक दिन पहले आकर बलौदाबाजार में रुके रहे। 10 जून को बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में सुबह से ही भारी संख्या में लोगों का आना-जाना चालू हो गया और लगभग 10 हजार की भीड़ उपस्थित हुई और लगभग तीन घंटे तक सभा हुई। सभा के बाद रैली के माध्यम से कलेक्ट्रेट तक गये, जिसमें असामाजिक तत्वों ने घुस कर आगजनी व तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिये।
जांच के दौरान पाये गये कुछ सवाल
डहरिया ने कहा कि पुलिस द्वारा जिन अपराधियों को पकड़ा गया है और दोषी माना गया है वो बिहार के निवासी हैं और उनके ठेकेदार भाजपा के नेता (भोजराम अजगले) है। उन्हें मजदूरी न मिलने पर वे लगभग 150 मीटर ऊपर पहाड़ में जैतखाम तोड़ने क्यों जायेंगे? बिहार के जिन मजदूरों को दोषी मानकर पकड़ा गया उन्हें तीन-चार दिनों बाद जमानत पर छोड़ दिया गया और बिहार भेज दिया गया, जिनका कुछ पता नहीं है? गिरौदपुरी में हजारों की संख्या में सीबीआई जांच की मांग को लेकर सामाजिक बैठक हुई तब भी प्रशासन सचेत क्यों नहीं हुआ। 10 जून को आंदोलन करने जिला प्रशासन को सामाजिक पदाधिकारियों के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष सनम जांगड़े एवं अन्य भाजपा नेतागण भी शामिल थे। उनकी भूमिका की भी जांच किया जाना चाहिये। लगातार सोशल मीडिया में भीम आर्मी, भीम क्रांति जैसे संगठनों एवं अन्य लोगों द्वारा भीड़ एकत्रित करने अपील करते रहे व पाम्पलेट-पर्चा के माध्यम से गांवों में आंदोलन के लिये प्रचार किया गया तब सरकार का इंटेलीजेंट व जिला प्रशासन क्यों मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
अन्य प्रांतों से भारी संख्या में लोग एक दिन पहले बलौदाबाजार में आकर रुके तब प्रशासन ने इनकी सुध क्यों नहीं की। 10 जून को सुबह से वाहनों में बलौदाबाजार शहर के चारो तरफ से लोग आने लगे तब भी प्रशासन बेखबर रहा? लगभग 10 हजार आदमियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई व पंडाल लगाया गया तब भी प्रशासन अनजान रहा? सभा स्थल में लगभग तीन घंटे भाषण हुआ व उसके बाद भीड़ शहर के मुख्य मार्ग के डिवाईडर को तोड़ते हुए आगे बढ़े तब भी जिला व पुलिस प्रशासन शांत क्यों रही? भीड़ में लाठी डंडे, पेट्रोल बम कहां से आये और किस तरह से आये तथा अन्य प्रांतों के वाहनों को शहर में प्रवेश कैसे होने दिया गया , यह प्रशासन की बड़ी चूक को दर्शाता है।
डहरिया ने कहा कि समिति द्वारा विभिन्न बिन्दुओं की जांच के बाद पाया गया कि बलौदाबाजार में हुई आगजनी की भयावह घटना शासन प्रशासन की बड़ी लापरवाही व सरकार की इंटेलीजेंट के फैल हो जाने के कारण हुई। समय रहते सरकार व प्रशासन सचेत हो जाता व समाज के द्वारा सीबीआई जांच की मांग को पूर्व में ही मान लेता तो प्रदेश को शर्मसार करने वाली घटना से बचा जा सकता था।
जांच समिति में संयोजक डॉ. शिवकुमार डहरिया, सदस्य विधायक बिलाईगढ़ कविता प्राण लहरे, सदस्य विधायक पामगढ़ शेषराज हरवंश, सदस्य विधायक बिन्द्रानवागढ़ जनक राम ध्रुव, सदस्य पूर्व विधायक पदमा मनहर, सदस्य पूर्व विधानसभा उम्मीदवार शैलेष नितिन त्रिवेदी, सदस्य जिला अध्यक्ष बलौदाबाजार हितेन्द्र ठाकुर थे।
(Udaipur Kiran) / चन्द्र नारायण शुक्ल / गेवेन्द्र प्रसाद पटेल