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धर्म-संस्कृति की रक्षा को समर्पित मुख्यमंत्री धामी की विश्वभर में चर्चा, जगद्गुरु रामभद्राचार्य समेत समूचे संत समाज ने दिया आशीर्वाद-साधुवाद

धर्म और संस्कृति की रक्षा को समर्पित मुख्यमंत्री धामी की विश्व भर में चर्चा, जगद्गुरु रामभद्राचार्य समेत समूचे संत समाज ने दिया आशीर्वाद-साधुवाद

– चार धाम के नाम के दुरुपयोग को लेकर मुख्यमंत्री ने लिया ऐतिहासिक निर्णय

– विश्वविद्यालय में सेंटर फाॅर हिंदू स्टडीज खोले जाने के निर्णय से संत समाज खुश

देहरादून, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी देवभूमि के धर्मरक्षक बन गए हैं। धर्मरक्षक के रूप में उभरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विश्व प्रसिद्ध चारधाम एवं सनातन संस्कृति को लेकर ऐतिहासिक निर्णय से विश्वभर में चर्चा में आ गए हैं। चारधाम के नाम का दुरुपयोग न हो, इसके लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़े कानून बनाने का निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव पर धामी कैबिनेट ने मुहर भी लगा दी है। धर्म और संस्कृति की रक्षा को समर्पित मुख्यमंत्री धामी के इस निर्णय की चौतरफा प्रशंसा हो रही है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य समेत समूचे संत समाज ने मुख्यमंत्री धामी को आशीर्वाद-साधुवाद दिया है।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रत्येक विश्वविद्यालय में हिंदू केंद्र (सेंटर फाॅर हिंदू स्टडीज) खोलने का निर्णय लिया है, यह सुनकर बहुत प्रसन्नता हुई। यही होना चाहिए। इससे भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और हिंदू धर्म के विषय में विद्यार्थियों को जानने का सुंदर अवसर मिलेगा। दूसरा यह मैंने सुना कि कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया कि चारों धामों के नाम पर अब कोई मंदिर नहीं बनाया जा सकता। यह सुनकर ही मेरा मन बहुत प्रसन्न हुआ है। इसी प्रकार भारत सरकार यदि सनातन धर्म के विषय में न्यायपूर्ण निर्णय करती रहे तो वैदिक सनातन धर्म का ध्वज संपूर्ण विश्व में प्रचलित होगा। ऐसी मेरी शुभकामना, वंदे मातरम, भारत माता की जय।

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों में सनातन हिंदू संस्कृति अध्ययन केंद्र की स्थापना का जो निर्णय लिया है, इसके लिए स्वामी परमात्मानंद ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल उत्तराखंड ही नहीं, पूरे भारतवर्ष में लागू होना चाहिए। भारत सनातन हिंदू संस्कृति का देश है और उत्तराखंड तो देवभूमि है। इस निर्णय से उत्तराखंड का जो देवभूमि का स्वरूप है वह फिर से उभरकर सामने आएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी की प्रशंसा करते हुए उनके निर्णय को साहसिक और समसामयिक बताया। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि इस निर्णय का पालन देशभर में कराएं। सनातन हिंदू संस्कृति का अध्ययन समस्त विश्वविद्यालय में होना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर को लेकर जो विवाद उठा था, मुख्यमंत्री धामी ने कैबिनेट में मुहर लगाकर उस विवाद को समाप्त कर दिया। इससे स्पष्ट है कि पौराणिक स्थल चारधाम की अवमानना किसी भी रूप में स्वीकार नहीं होगी। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी और सनातन हिंदू संस्कृति के प्रति उनकी निष्ठा को साधुवाद दिया।

चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष पं. विनोद शुक्ला ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चारों धामों की ओर से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने कैबिनेट में बहुत अच्छा फैसला लिया है। इससे अब कोई भी व्यक्ति चारों धाम के नाम पर न तो ट्रस्ट बना सकता है और न मंदिर। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के फैसले से चारों धामों के लोग बिल्कुल खुश हैं। ओम नम: शिवाय, जय श्रीकेदार, हर-हर महादेव।

यमुनोत्री धाम पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चारधाम के प्रति जो सकारात्मक रवैया है, वह सामने आ रहा है। उन्होंने देवस्थानम् बोर्ड भी भंग किया था। आशा है कि वो हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि जितने भी ट्रस्ट है चारों धामों में और जो हमारे मुख्य मंदिर हैं उनके ट्रस्ट में उतना पैसा नहीं आ रहा है। लोकल लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। इस कारण धामों की छवि धूमिल हो रही है। उत्तराखंड सरकार इन पर जितना जल्दी शिकंजा कस सकती है, वह बेहतरीन होगा। मुख्यमंत्री धामी ने जो निर्णय लिया है, इसके लिए हम बधाई और शुभकामना देते हैं। आपका यह सराहनीय कदम है। जय यमुना मईया, जय चारधाम।

गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा कि आज बहुत प्रसन्नता का दिवस है। मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चारों धाम की तरफ से। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी बड़े सूझबूझ के व्यक्ति हैं और सरलता से रास्ता निकाल देते हैं। इन्होंने जो कैबिनेट में प्रस्ताव लाया है कि चारों धाम का न तो कोई मंदिर बना सकता है और न ही कोई नाम रख सकता है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने मां भगवती और चारों धाम से कामना की कि मुख्यमंत्री धामी निरंतर सूबे का नेतृत्व करते रहे। जय गंगा मइया, चारों धाम की जय, धन्यवाद।

बदरीनाथ से बृजेश सती ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतीकात्मक निर्माण को लेकर जिस तरह से विवाद हुआ था और चारों धामों के तीर्थपुरोहितों ने भी इसका विरोध किया था। इसके बाद हमने चारों धामों में प्रदर्शन भी किया था और चारों धामों के तीर्थपुरोहितों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया था। इसमें हमने कहा था कि ये जो केदारनाथ मंदिर के नाम से निर्माण किया जा रहा है। इस पर रोक लगानी चाहिए। देशभर में जो भी इस तरह की गतिविधि करता है, उसके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की जानी चाहिए, ताकि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था में कोई भ्रम की स्थिति न हो। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका संज्ञान लिया है और उत्तराखंड कैबिनेट ने चारों धामों के अलग नाम रखने पर रोक लगाने संबंधित प्रस्ताव पारित किया है। जल्द ही ये एक्ट बनेगा तो निश्चित रूप से धामी सरकार का यह अच्छा निर्णय है। इसके लिए चारधाम के पुरोहित महापंचायत के समस्त पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहित और पुजारी मुख्यमंत्री धामी समेत मंत्रिमंडल के सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हैं।

जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि भारत के कालजयी, मृत्युंजयी, सनातन संस्कृति और उसके अनुपम उद्वात्त दिव्य संस्कार जिनमें पूरे विश्व को कुटुंब मानने की चिरकाल से हमारी अवधारणा रही है। पूरा विश्व एक परिवार है, यह समझकर हमने जीव-जंतु और जितने भी नक्षत्र हैं- निहारिकाएं, धरती, अम्बर, अग्नि, जल, वायु, पवन, प्राण, प्रकाश, इन सबको अपने परिवार का अंग माना है और उन्हीं के रक्षण, पोषण, संवर्धन के लिए उत्तराखंड सरकार प्रतिबद्ध है। ये अत्यंत हर्षित करने वाला विषय है कि उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालय में विशेषकर सरकारी विश्वविद्यालयों में और अन्य स्थानों पर भी भारतीय संस्कृति व उसके संस्कारों का अध्ययन कराया जाएगा। योग, आयुर्वेद और अध्यात्म की विविध विधाएं जिनमें इतिहास, पुराण, ये सब पढ़ाए जाएंगे, जिससे भारत के युवा ये जान सकें कि भारत की संस्कृति का औदार्य क्या है और वह किस प्रकार से सर्वभूतहिते रताः (स्वार्थ से परे रहकर दिन-रात दूसरों की भलाई में जुटे रहना) अथवा आत्मवत् सर्व भूतेषु और सर्वे भवन्तु सुखिनः कहकर विश्व को कैसे कुटुंब मानती है। सबको अपना कैसे स्वीकार करती है कि सभी अपने हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में समता है, समन्वय है और सबके प्रति सहकार की भावना के साथ सबके अधिकारों का रक्षण, सबके लिए सम्मान-स्वाभिमान की चिंता और इसके लिए आगे आए हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जिन्हें धर्मरक्षक अथवा सनातन संस्कृति और उसके संवेदनाओं का संपोषक भी कहा जाता है। उन्होंने यह पहल की है। हम उनकी इस पहल की अत्यंत प्रशंसा करते हैं। साथ ही उन्हें इस बात के लिए भी साधुवाद देते हैं कि उन्होंने यह भी घोषणा की है कि हमारे जो चारधाम हैं उन चारों धामों के नामकरण का कहीं दुरुपयोग न हो अथवा वे स्थापित धाम हैं चीरकाल से, जब से हमारी संस्कृति है तभी से। द्वादश ज्योतिर्लिंग, चारधाम, सप्तपुरी और तीर्थों की जो मान्यता है, उन तीर्थों की मान्यता सुचिता, पवित्रता, गरिमा, पूजा-पद्धति, परंपराएं सुरक्षित रहें। उन पूजा-पद्धतियों के रक्षण-संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता अत्यंत प्रशंसनीय है। मैं उन्हें इस बात के लिए भी साधुवाद देता हूं कि वो संस्कृति रक्षण-संवर्धन के लिए आगे आए हैं। उत्तराखंड के उन्नयन, उत्थान एवं विकास के लिए उनका ये अद्भुत समर्पण स्वागत योग्य है।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण / प्रभात मिश्रा

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