हिमाचल में आयोजित दो शिविरों में भाग लेकर लौटे स्वयंसेवक
हिसार, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के जिस्पा में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित दो अलग-अलग राज्य स्तरीय एडवेंचर कैंप में विश्वविद्यालय के 20 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इन शिविरों में विश्वविद्यालय के स्वयंसेवकों ने शानदार प्रदर्शन करके विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया। स्वयंसेवक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई से मिले। उनके साथ राष्ट्रीय योजना इकाई की समन्वयक डॉ अंजू गुप्ता भी उपस्थित रही।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने स्वयंसेवकों को इस साहसिक शिविर में भाग लेने के लिए बधाई दी और कहा कि इस प्रकार के शिविर अत्यंत उपयोगी होते हैं। इस प्रकार के शिविर निरंतर आयोजित होते रहने चाहिएं ताकि विद्यार्थियों में अनुशासन की भावना विकसित हो सके। इससे विद्यार्थी निर्भय बनेंगे तथा उन्नति के पथ पर अग्रसर होंगे।
राष्ट्रीय योजना इकाई की समन्वयक डॉ. अंजू गुप्ता ने बताया कि प्रथम शिविर में स्वयंसेवक राहुल, रजत, शिवम, केशव, साहिल, योगेश, योगेश, विनोद, मोहित व प्रियांशु ने भाग लिया। इनके साथ कार्यकारी अधिकारी डॉ. अशोक ने भाग लिया। इस शिविर में कैंपिंग, नदी पार करना, रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग, जिस्पा से पटसिओ तक 3750 मीटर की ऊंचाई पर 22 किमी की चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग, प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण और विभिन्न प्रकार की जत्थों को सीखने की गतिविधियां शामिल थी।
द्वितीय शिविर में शुभिका, आस्था, प्रियंका, एकता, पूजा, ऋतिका, करुणा, रिया, प्रिया व महक के साथ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. विद्या ने भाग लिया। शिविर के पहले दिन स्वयंसेवक पंचकूला पहुंचे और अपनी यात्रा जिस्पा के लिए शुरू की। शिविर के दौरान स्वयंसेवकों ने विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। इन गतिविधियों में कैंपिंग, नदी पार करना, रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग, विभिन्न आसपास के स्थानों का दौरा, जिस्पा से दरचा तक 3360 मीटर की ऊंचाई पर 10 किमी की चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग, प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण, विभिन्न प्रकार की गांठों को सीखना, टेंट लगाना, पर्वतीय खतरों के बारे में जानकारी प्राप्त करना, बोनफायर का आनंद लेना आदि शामिल रही। विश्वविद्यालय के स्वयंसेवकों ने विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन किया, जैसे शुभिका-कैंप सीनियर, आस्था-उपकरण प्रभारी, प्रियंका-क्वार्टर मास्टर, रिया-रोप लीडर।
डॉ. अंजू गुप्ता ने बताया कि इन शिविरों का उद्देश्य टीमवर्क करना, अनुशासन को विकसित करना, नेतृत्व कौशल, समय की पाबंदी में सुधार करना, स्थानीय लोगों के साथ बातचीत और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करना था। साहसिक गतिविधियों ने स्वयंसेवकों को चुनौती दी, व्यक्तिगत विकास और आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया और शिविर ने अंतत: अपने उद्देश्यों को प्राप्त किया, प्रतिभागियों के लिए यह एक अनोखा अनुभव रहा।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर / SANJEEV SHARMA