मंदसौर, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने पत्र लिखा है। पत्र में आपने लाइसेंसी पद्धति से की जाने वाली अफीम खेती में प्राकृतिक आपदा के समय किसानों को होने वाली परेशानी से अवगत करवाया है।
सिसोदिया ने पत्र में लिखा कि नारकोटिक्स विभाग के माध्यम से भारत सरकार की देखरेख में उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में रबी के मौसम में अफीम की फसल पैदा की जाती है। प्राकृतिक आपदा, शीत लहर, ओलावृष्टि तथा तेज हवा के चलते अफीम की फसल नष्ट होने पर किसानों को राजस्व पुस्तिका अधिनियम आरबीसी 6/4 के अंतर्गत न तो राहत राशि (मुआवजा) मिलता है और ना ही किसानो की इस फसल को बीमा कंपनी शामिल करती है, जबकि बैंक और सहकारिता की सोसायटी के माध्यम से किसान को रबी की फसल में जो कर्ज मिलता है, उसमे अन्य फसलो के साथ-साथ किसान लिए गए कर्ज से खेत को हांकने, जोतने, सिंचाई करने, कृषि दवाई आदि का उपयोग प्राप्त ऋण की राशि में से करता है।
विधायक ने पत्र में कहा कि आपने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ईसबगोल की फसल जिसको किसान बोता था, उसे प्राकृतिक आपदा में राहत राशि (मुआवजा) में शामिल नहीं किया जाता था। आपने ईसबगोल के लिये भी प्रावधान किया था, साथ ही फल-फूल, सब्जी, पान, संतरा, कैला जैसी अनेक फसलो को आर.बी.सी. 6/4 को अंतर्गत जोडते हुये किसानो को राहत राशि (मुआवजा) में संशोधन कर किसान को लाभान्वित किया था।उन्हाेंने कहा कि अफीम की फसल में तो अन्य फसलो की तुलना में किसानो को नुकसानी पर अफीम अधिकारी की मौजूदगी में क्षतिग्रस्त अफीम की फसल को नष्टीकरण करना ही पडता है। यदि पहली लूनी/चीरनी में प्राप्त अफीम लेकर उसकी फसल यदि नष्ट भी हो जाती है, तो किसान को औसत देना ही पडता है, फिर चाहे वह कही से भी उसकी पूर्ति करे। प्राकृतिक आपदा में किसान को अपनी अफीम फसल को नष्टीकरण करना ही पड़ता है, उसका कोई विकल्प ही नहीं है और उस किसान को लगने वाली लागत का आंशिक लाभ भी न बीमा कंपनी देती है और ना ही राजस्व विभाग व भारत सरकार का वित्त मंत्रालय, जबकि दूसरी अन्य फसलों में बीमा भी किसानो को मिलता है, राहत राशि (मुआवजा) भी शासन से मिलता है और किसान को यह भी छूट रहती है कि वह क्षतिग्रस्त फसल को खलियान ने थ्रेसर मशीन चलाकर तथा फसल की कटाई कराकर जितनी भी उपज उसने शेष रहती है, फिर चाहे वह 10 प्रतिशत हो था 25 प्रतिशत उस फसल को प्राप्त कर लेता है।
अफीम की फसल को वह किसान नष्टीकरण करता है, जिसका वास्तविकता में वह यह मूल्यांकन कर लेता है कि फसल में प्राकृतिक आपदा की नुकसानी से अफीम की प्राप्ति नही हुई। ऐसे किसानो की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती है, जो किसान अफीम की खेती का नष्टीकरण नही करता है, उनकी संख्या ज्यादा होती है और ऐसे अफीम प्राप्त करने वाले किसान किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का आवेदन-निवेदन भी नहीं करते है।पत्र में श्री सिसोदिया ने अनुरोध किया है कि प्रदेश में आपने मुख्यमंत्री के दायित्व पर रहते हुए अनेक नवाचार और किसानों के हित में कई बड़े उल्लेखनीय काम किए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में अफीम किसानों को भी फसल बीमा या नुकसान की भरपाई राहत राशि (मुआवजा)दिया जाने का निर्णय करें।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / अशोक झलौआ / राजू विश्वकर्मा