Chhattisgarh

माता-पिता के निधन के बाद चाचा ने की सतेर सिंह की परवरिश, बलिदान की खबर से टूट गया परिवार

amtim sanskar

नारायणपुर, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । बीजापुर में नक्सल अभियान के दौरान नारायणपुर निवासी सतेर सिंह की शहादत हो गई। जवान के पार्थिव शरीर को नारायणपुर जिला मुख्यालय लाने के बाद आज शुक्रवार काे उनके गृहग्राम बम्हनी में अंतिम संस्कार किया गया। जवान के अंतिम दीदार के लिए आस-पास के दर्जनों गांव के सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण सुबह से ही बम्हनी में पहुंच गए। पुलिस और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ गणमान्य नागरिकों के द्वारा जवान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। जवान की चिता पर जब मुखाग्नि देने आग लगाई जा रही थी तो पूरा गांव बिलख पड़ा। इस दौरान लाेग पुष्प अर्पित कर जयकारे का नारा भी लगाया। बलिदनी सतेर सिंह के चाचा रामसाय ने कभी नहीं सोचा था कि जिस बच्चे को इतने जतन से पाल रहे हैं, उसी बच्चे के पार्थिव शरीर को एक दिन उन्हें कंधा देना पड़ेगा। रामसाय ने बताया कि बड़े भाई और भाभी के मौत के बाद सतेर सिंह को बचपन से उन्हाेंने ही पाला और खेती-किसानी करते हुए अपने बच्चे के साथ ही बड़े भाई के बच्चे को पाल पोसकर पढ़ाया लिखाया और पुलिस विभाग में नौकरी भी करने दी। लेकिन अचानक से सतेर के निधन से पूरा परिवार टूट के बिखर गया।

बलिदान सतेर सिंह के बड़े भाई ने बताया कि दो भाइयों में सतेर छोटा था। मां-पिता के निधन के बाद दोनों छोटे चाचाओं ने अलग-अलग हमें पाला। छोटे चाचा रामसाय सतेर सिंह को अपने साथ ले गए, जहां बचपन से उसे पढ़ाने-लिखाने के साथ ही उसकी हर ख्वाहिश को पूरी की। सतेर ने पुलिस में जाने की बात भी कही, जिस पर चाचा ने जाने से मना भी नहीं किया। उन्हाेने बताया कि वर्ष 2017 में सतेर सिंह की सीएएफ में नौकरी लगी, उसके कुछ वर्ष के बाद एसटीएफ ज्वाइन की। अभी इस अभियन में जाने से दो दिन पहले अपने भाभी रमुला को फोन करके इस बात की जानकारी दी कि वे एक ऑपरेशन में जा रहे हैं, जहां से आने के बाद घर आने की भी बात कही थी। भाभी से बात करने के बाद रात करीब दो बजे सतेर के ही मित्र मुन्ना ने फोन पर जानकारी दी, जिसके बाद पूरा परिवार तत्काल जगदलपुर पहुंचा, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव नारायणपुर ले जाने की बात कही गई। परिजनों ने यह भी बताया कि दो माह पहले ही 14 मई को सतेर का जन्मदिन था, 2 से 3 माह पहले ही घर आया था, जिसके बाद परिवार के साथ कुछ समय बिताने के बाद वापस ड्यूटी चले गए, लेकिन परिवार ने कभी नही सोचा कि सतेर को आखरी बार देख रहे हैं।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे / चन्द्र नारायण शुक्ल

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