जयपुर, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । विधानसभा में ठाकुर का कुआं कविता को लेकर गुरुवार काे जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने हरीश चौधरी पर जातिवाद फैलाने और एक वर्ग को आहत करने का आरोप लगाया। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सभापति से इसे कार्यवाही से निकालने की मांग की। हरीश चौधरी ने इसका विरोध किया।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि किसी जाति वर्ग के लिए कमेंट करने पर कोई आहत होता है तो उसको कार्यवाही से निकालना चाहिए। हम सब एक हैं, आहत करने वाली टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। इस पर सभापति संदीप शर्मा ने कहा कि जो सदन के अनुकूल नहीं होगा उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा। पटेल ने हरीश चौधरी से कहा कि आपने जो बोला आपके विषय के अनुकूल नहीं है, आपको स्वीकार करना पड़ेगा आप किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकते।
विधानसभा में अनुदान मांगों पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने बजट की तुलना ‘ठाकुर का कुआं’ कविता से की। हरीश चौधरी ने कहा कि क्रांतिकारी कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि ने ठाकुर का कुआं कविता के जरिए भेदभाव का दर्द बयां किया था। वो ही दर्द इस बजट को पढ़कर दिखेगा। उन्होंने कहा कि मैं कम पढ़ा जरूर हूं, केवल पोस्ट ग्रेजुएट हूं। चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का, भूख रोटी, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का। बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी। फसल ठाकुर की, कुआं ठाकुर का खेत-खलिहान ठाकुर के। हमारा क्या है।
चौधरी ने कहा कि हमारा क्या है, हमारा कुछ नहीं है, सब कुछ ठाकुर का है। हम आरक्षण के नाम पर दर्द बयां करते हैं तो हंसी उड़ाई जाती है। 80 फीसदी संसाधन ऊंची जातियों के पास हैं। हम पिछड़ों के पास क्या है। हम लोग जो ओबीसी में पिछड़े आते हैं उनका क्या है। केवल 17 परसेंट मिला। नौकरियों में रोस्टर के नाम पर खेल किया जाता है। ओबीसी वोट के समय ही याद आते हैं। भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा ने हरीश चौधरी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि हरीश चौधरी आदिवासी और सामाजिक न्याय की अनुदान मांगों पर बहस कर रहे थे। वो एससी-एसटी को ठाकुर बता रहे थे। वो कितने सच्चे, कितने काले हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। मीणा ने कहा कि देश की पाइपलाइन, पूरी रिफाइनरी खा गए। उस एरिया में जाकर देखें, किसी पर उंगली उठाने से क्या होता है। सब जानते हैं पूरे बाड़मेर को लूट लिया। आदिवासी को कह रहे ठाकुर हैं। यह सहन नहीं होगा, नहीं सहेगा राजस्थान, नहीं सहेगा एससी-एसटी।
(Udaipur Kiran) / रोहित