RAJASTHAN

आदिवासी परिवार का अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर गूंजा मानगढ़ धाम

मानगढ़ धाम पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल भील प्रदेश लोग

जयपुर, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से हजाराें की संख्या में बांसवाड़ा जिले के ऐतिहासिक मानगढ़ धाम पर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा द्वारा सांस्कृतिक महा रैली में शामिल लोगों ने अलग भील प्रदेश बनाने को लेकर जय जोहार और जय भील प्रदेश का जयकारा लगाते हुए हुंकार भरी। मानगढ़ धाम पर बने स्मारक के पास आयोजित महा रैली में बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजकुमार रोत समेत अनेक नेताआें ने संबोधित किया। सभा स्थल पर सुबह से ही लोग पहुंचने लगे जिससे किलोमीटर तक वाहनों और लोगों की लंबी कतारें लग गई थी।

हर साल मानगढ़ धाम पर भील प्रदेश की मांग और जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण सहित अन्य मुद्दों को लेकर भील प्रदेश सांस्कृतिक महारैली का आयोजन होता है। राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से हजाराें की संख्या में आदिवासी समाज के लोग एकत्र हाेते हैं। हर साल यह सम्मेलन 17 जुलाई को आयोजित होता है, लेकिन इस वर्ष मोहर्रम होने के कारण से इसका आयोजन 18 जुलाई को हो रहा है। हजारों की संख्या में लोगों की उपस्थिति को देखते हुए जहां जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाएं की गई। इस अवसर पर सांसद राजकुमार रोत , कांति भाई परमार, भंवर लाल परमार, अन्य वक्ताओं ने कहा कि भील प्रदेश की मांग अभी की नहीं वरन डेढ़ सौ साल पुरानी मांग है, जिसके लिए पूरा आदिवासी समाज एकजुट होकर इस आंदोलन को तेज करके इसको हासिल करके दिखाएंगे। वक्ताओं ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता के दम पर संविधान में संशोधन करने की बात कर रही थी जिसका परिणाम यह हुआ कि लोगों ने भाजपा को लोकसभा चुनाव में आइना दिखा दिया है।

-आदिवासी हिंदू नहीं इसलिए मत लगाओ सिंदूर

गुरुवार को मानगढ़ धाम पर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा की ओर से आयोजित सांस्कृतिक महारैली में मंगलसूत्र और हिंदुओं के त्योहारों को लेकर विवादित बयान दिया गया। आदिवासी परिवार की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने कहा कि हिंदू आदिवासी हिंदू नहीं है और उनकी संस्कृति और हमारी संस्कृति अलग-अलग है। इसलिए वह न तो मंगलसूत्र पहनती है और ना ही सिंदूर लगाती हूं और ना ही कोई व्रत और त्योहार करती हूं। इसलिए सभी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में हिंदू देवी देवताओं के उत्सवों का आयोजन किया जाता है जो गलत है। वहां केवल पढ़ाई होनी चाहिए।

(Udaipur Kiran) / सुभाष मेहता / संदीप

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