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एनटीए को नीट परीक्षा के सभी प्रतिभागियों के अंक 20 जुलाई तक सार्वजनिक करने का निर्देश

SUPRIME COURT.

– केंद्रवार घोषित होगा रिजल्ट, प्रतिभागियों के नाम सार्वजनिक नहीं किये जाएंगे

नई दिल्ली, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । नीट मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को सभी प्रतिभागियों के मार्क्स 20 जुलाई दोपहर तक सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रतिभागियों के नाम सार्वजनिक नहीं किये जाएंगे। प्रत्येक परीक्षा केंद्र का केंद्रवार रिजल्ट घोषित किया जायेगा। मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

आज सुनवाई शुरू होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कल यानी 19 जुलाई के लिए सुनवाई टाले जाने को कहा, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि लाखों लोग इंतजार कर रहे हैं, इसलिए मामले की सुनवाई आज ही होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि सीबीआई ने नीट मामले में कल यानी 18 जुलाई को दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें सीबीआई जांच की स्टेटस रिपोर्ट नहीं मिली है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी जांच चल रही है। अगर इस स्टेज पर रिपोर्ट सार्वजनिक होती है तो जांच पर असर पड़ सकता है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि मेडिकल कॉलेजों में कुल कितनी सीटें हैं। तब कोर्ट को बताया गया कि सरकारी और प्राइवेट मिलाकर कुल एक लाख 8 हजार सीटें हैं। ऐसे में सिर्फ एक लाख लोगों का भविष्य दांव पर लगा है, 23 लाख लोगों का नहीं। चीफ जस्टिस ने कहा कि इसलिए कि जब 23 लाख में से केवल एक लाख को प्रवेश मिलेगा, तो हम दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते। दोबारा परीक्षा का आदेश केवल तभी दिया जा सकता है जब पूरी परीक्षा प्रभावित हुई हो।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर एनटीए गवर्निंग बॉडी के सदस्य हैं। तब मेहता ने कहा कि यह जानकारी गलत है। जिस डायरेक्टर ने यह रिपोर्ट तैयार की थी, वो एनटीए गवर्निंग बॉडी के मेंबर नहीं हैं। मेहता ने कोर्ट को बताया कि रिपोर्ट किसी अन्य प्रोफेसर गोपाल कृष्ण ने तैयार की थी। आईआईटी मद्रास ने इस साल और पिछले साल के नीट रिजल्ट्स के आंकड़ों का स्टडी कर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आंकड़ों से पेपर लीक का आरोप साबित नहीं होता।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि टेलीग्राम चैनल पर नीट का पेपर परीक्षा के एक दिन पहले 4 मई को डाल दिया गया। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि लेकिन जिसने पेपर लीक किया होगा, उसने तो पैसे के लिए किया होगा। ऐसे में वो टेलीग्राम पर शेयर क्यों करेगा। एनटीए ने दलील दी कि टेलीग्राम पर शेयर किया गया वीडियो फर्जी है यानी वीडियो से छेड़छाड़ करके बनाया गया था। चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या पेपर 3 मई को ही लीक हो गया था। तब एनटीए का कहना था कि 5 मई को स्टूडेंट्स को पेपर को याद कराया गया तो इसका मतलब तो ये हुआ कि 5 मई के पहले किसी ने पेपर को सॉल्व किया होगा और पेपर 5 के पहले लीक हुआ होगा, 4 या 3 मई को।

चीफ जस्टिस ने पूछा कि सॉल्वर ने 45 मिनट या एक घंटे में पूरा पेपर कैसे सॉल्व किया होगा। तब मेहता ने कहा कि कुल 7 सॉल्वर थे, जिन्होंने पेपर बांट कर सॉल्व किया था। मेहता ने कोर्ट को बताया कि एक सॉल्वर गैंग का मेंबर हजारीबाग में था और उसको पेपर व्हाट्सअप से भेजा गया। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि केवल पटना और हजारीबाग में नीट परीक्षा में गड़बड़ी हुई है। ऐसे में अब हमें देखना है कि क्या केवल इस आधार पर परीक्षा रद्द होगी। इस मामले में केंद्र सरकार ने मद्रास आईआईटी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सबूत नहीं हैं और वह नीट परीक्षा निरस्त करने के समर्थन में नहीं है। एनटीए ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि टेलीग्राम ऐप पर नीट पेपर लीक का जो वीडियो चलाया जा रहा था वो फर्जी था।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को कहा था कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है, यह स्पष्ट है। अगर परीक्षा वाले दिन ही बच्चों को पेपर मिला था और उसे याद किया गया, तो इसका मतलब पेपर केवल स्थानीय स्तर पर लीक हुआ था।

(Udaipur Kiran) / संजय

(Udaipur Kiran) पाश / सुनीत निगम

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