मंदसौर, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । सुंदरलाल पटवा शासकीय मेडिकल कॉलेज को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा वर्ष 2024-2025 की मान्यता देने से इनकार कर दिया गया है। इस निर्णय का कारण कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ की कमी बताई गई है। न केवल मंदसौर बल्कि नीमच और सिवनी के मेडिकल कॉलेजों को भी मान्यता नहीं मिली है।
विशेषज्ञों के अनुसार, एनएमसी के नए नियमों के तहत अब पहले ही वर्ष से पांच वर्ष के लिए पद भरना अनिवार्य कर दिया गया है। वर्तमान में मंदसौर, नीमच और सिवनी मेडिकल कॉलेजों में प्रथम वर्ष के लिए केवल 35 से 40 पद भरे गए हैं। जबकि एनएमसी के अनुसार, प्रथम वर्ष से ही 116 पदों पर भर्ती आवश्यक है। इस कमी के कारण इन तीनों कॉलेजों को मान्यता नहीं मिल सकती।
मंदसौर मेडिकल कॉलेज में बुनियादी सुविधाओं और स्टाफ की कमी की बात लंबे समय से सामने आ रही है। नीमच और सिवनी में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। एनएमसी की टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि इन कॉलेजों में आवश्यकतानुसार फैकल्टी और अन्य संसाधनों की कमी है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त तरुण पिथोड़े ने बताया कि प्रदेश सरकार इन तीनों कॉलेजों को इसी सत्र में प्रारंभ करना चाहती है। एनएमसी द्वारा बताई गई कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एनएमसी से पुनः निरीक्षण करने का आग्रह किया जाएगा ताकि इसी सत्र में कॉलेजों का संचालन शुरू हो सके। एनएमसी के नए नियमों के अनुसार, पहले ही वर्ष से पांच वर्ष के लिए सभी पदों को भरना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम लागू होने के बाद से ही कई नए मेडिकल कॉलेजों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। मंदसौर, नीमच और सिवनी के कॉलेजों को भी इसी कारण मान्यता नहीं मिल पाई है।
एनएमसी के निरीक्षण में पाया गया कि इन कॉलेजों में जरूरी बुनियादी ढांचे की भी कमी है। यह कमी न केवल स्टाफ के पदों की और अन्य आवश्यक सुविधाओं की भी है। एनएमसी ने साफ किया है कि जब तक ये कमी दूर नहीं होती, तब तक मान्यता नहीं दी जा सकती। मंदसौर, नीमच और सिवनी के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने की उम्मीद लगाए बैठे छात्रों और उनके अभिभावकों में निराशा फैल गई है।
प्रदेश सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द से जल्द सभी आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे एनएमसी के नियमों का पालन करते हुए सभी आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करें ताकि इन कॉलेजों को मान्यता मिल सके।
यह स्थिति दर्शाती है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संसाधनों और स्टाफ की कमी गंभीर समस्या बनती जा रही है। सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं उत्पन्न न हों और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
(Udaipur Kiran) / अशोक झलौआ तोमर