गोरखपुर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने अनुशासन, नवाचार, परिसर संस्कृति और मानव सेवा के भाव से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। अपने अभिनव शिक्षण पद्धति से बहुत ही कम समय में यह विश्वविद्यालय रोल मॉडल के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है।
डॉ. सिंह मंगलवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में नवीन सत्र के विद्यार्थियों के लिए आयोजित दीक्षारंभ समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यहां प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी बहुत ही सौभाग्यशाली हैं। यहां विद्यार्थियों को संस्कार और अद्यानुतन तकनीक के साथ शिक्षित होकर सशक्त नागरिक बनने का अवसर प्राप्त होगा। दीक्षारंभ समारोह में सम्मिलित सभी नवांकुरों के उच्च शिक्षा के प्रथम संस्कार की बधाई देते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्ण विश्वास है किआप सभी इस विश्वविद्यालय की मान मर्यादा को अपने नवाचारों से और प्रतिष्ठत करेंगे।
नवागत विद्यार्थियों का परिसर में स्वागत करते हुए कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद शिक्षा के क्षेत्र में लब्ध प्रतिष्ठित संस्थान है। इसके अंतर्गत संचालित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने चार वर्षो की यात्रा में कई प्रतिमान स्थापित किए हैं। यहां के शिक्षको के कुशल नेतृत्व में निरंतर नवाचारों से कई विषयों में अन्वेषण जारी है।
डॉ. राव ने कहा कि अनुशासन की ताप में तपे यहां के विद्यार्थी अन्य संस्थानों के लिए अनुकरणीय के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं। इस विश्वविद्यालय की परिकल्पना एक ऐसी व्यवस्था को जन्म देना है जो स्वचालित हो। जिसमें विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी एवं अधिकारी स्वतः संज्ञान लेते हुए एक ऐसे विश्वविद्यालय का निर्माण करें जो लोकार्थ की भावना से ओत-प्रोत होते हुए सभी के लिए अनुकरणीय हो।
उन्होंने कहा कि बड़े लक्ष्य के लिए अनुशासन, कार्य निष्ठा, स्वयं के कार्य के प्रति ईमानदारी, सात्विक भाव अर्पण होना चाहिए। दीक्षारंभ संस्कार की पहली पाठशाला है जहा पहली बार विश्वविद्यालय के आंगन में ज्ञान अर्जन के लिए गुरु शिष्य का परिचय साक्षात्कार होता है। पूर्ण विश्वास है अकादमिक सत्र में नए विद्यार्थी विश्वविद्यालय का नाम अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेंगे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने 1932 में शिक्षा के जिस बीज का अंकुरण किया था आज वह विशाल वट के रूप में स्थापित हो चुका है। उन्होंने कहा कि दीक्षारंभ से नए विद्यार्थियों को एक-दूसरे को जानने का अवसर मिलता है। नए विद्यार्थी कोमल माटी के समान होते हैं, उन्हे जिस आकर में ढाला जायेगा वो उसी में ढल जायेंगे। इसलिए शिक्षकों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे सभी विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुरूप भविष्य के लिए तैयार करें।
दीक्षारंभ समारोह में मुख्य अतिथि,कुलपति, कुलसचिव आदि ने मां सरस्वती, गुरु गोरखनाथ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया। धन्यवाद ज्ञापन नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य डॉ. डीएस अजीथा ने किया। दीक्षारंभ समारोह में प्रमुख रूप से फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शशिकांत सिंह, अधिष्ठता प्रो. सुनील कुमार सिंह, डॉ. विमल कुमार दूबे, डॉ. रोहित श्रीवास्तव, डॉ. अमित दूबे, डॉ. अनुपमा ओझा, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. विकास यादव, धनंजय पांडेय, डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव, डॉ. संदीप श्रीवास्तव, श्वेता अल्बर्ट सहित सभी विभागों के शिक्षक उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / Prince Pandey / मोहित वर्मा