नैनीताल, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने वाले करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि दो माह के भीतर जिन शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन नहीं किया गया है, उसे पूरा कर रिपोर्ट पेश करें।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने प्रगति रिपोर्ट पेश कर कहा कि प्रदेश के 80 प्रतिशत शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच हो चुकी है। बाकी 20 प्रतिशत का नही हुआ है क्योंकि 20 प्रतिशत शिक्षकों ने राज्य से बाहर के अन्य संस्थानों से शिक्षा व योग्यता हासिल की है इसलिए उन्हें समय दिया जाय। सरकार ने कहा कि फर्जी दस्तावेजों पर नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही जारी है। कुछ शिक्षकों ने इस कार्यवाही को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए हैं। इनमें कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई जिनमें खचेड़ू सिंह, ऋषिपाल, जयपाल के नाम सामने आए लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गयी और ये अभी भी कार्यरत हैं। संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी जांच करने को कहा है। पूर्व में राज्य सरकार ने अपने शपथपत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं, उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / लता पाश